कैसी होती है क़तर के शाही लोगों के घरों में काम करने वाली नौकरानियों की ज़िंदगी?

Cover Story

बीबीसी की जेंडर एंड आइडेंटेटी संवाददाता के अनुसार वह हर दिन सुबह आठ बजे से रात के 11 बजे तक काम करती हैं. वह घर की साफ़-सफ़ाई करती हैं, खाना बनाने में मदद करती हैं और बच्चों की देखभाल करती हैं.

घर वालों के खाने के बाद जो खाना बचता है, वही उन्हें खाने को मिलता है. ग्लाडेस फ़िलीपींस से क़तर आई हैं. वो 40 साल की हैं. ग्लाडेस ने बताया, “मेरी मैडम क्रेजी हैं. वह हर दिन मुझ पर चिल्लाती हैं.”

क़तर के 2022 के फ़ुटबॉल वर्ल्ड कप की मेज़बानी हासिल करने से पहले यहां काम करने वाले अप्रवासी मज़दूर बिना नौकरी पर रखने वालों की अनुमति के ना तो नौकरी बदल सकते थे और ना ही देश छोड़कर जा सकते थे. ज़्यादातर खाड़ी देशों में आज भी यही स्थिति है.

निगरानी के बाद क़तर ने अपने यहां श्रम क़ानून में सुधार ज़रूर किया, लेकिन हमेशा उन पर अमल नहीं हो रहा. उदाहरण के लिए ग्लाडेस को नौकरी देने वालों ने उनका पासपोर्ट रख लिया है. अगर वह उनका काम छोड़ने के लिए पासपोर्ट मांगेंगी तो उन्हें मिल जाएगा, इसकी कोई गारंटी नहीं है.

इसके बावजूद ग्लाडेस ख़ुद को क़िस्मत वाली समझती हैं. उन्हें अपने पास फ़ोन रखने की अनुमति है. दूसरी नौकरानियों को इसकी अनुमति भी नहीं होती है. ग्लाडेस के साथ किसी तरह का शारीरिक शोषण नहीं होता है, जबकि क़तर में काम करने वाली दूसरी नौकरानियों के साथ शारीरिक शोषण बहुत ही आम बात है.

इसके अलावा एक और वजह है जिसके चलते वह अपना काम नहीं छोड़ना चाहती हैं. उन्हें लगता है कि इस उम्र में इससे बेहतर नौकरी नहीं मिल सकती है. उन्हें प्रतिमाह 1500 रियाल यानी क़रीब 32 हज़ार रुपये मिलते हैं और यह पूरा पैसा वह अपने घर भेज देती हैं.

क़तर में कामगारों के अधिकार

क़तर के योजना और सांख्यिकी विभाग के अनुमान के मुताबिक़ क़तर में एक लाख 60 हज़ार घरेलू कामगार काम करते हैं.

साल 2017 में क़तर में घरेलू कामगारों के लिए क़ानून लागू किया गया जिसके मुताबिक़ उन्हें प्रतिदिन 10 घंटे ही काम करना है, इस दौरान उन्हें ब्रेक भी देने की बात कही गई है. सप्ताह में एक दिन अवकाश और पेड छुट्टी का भी प्रावधान है.

2020 में उन्हें न्यूनतम मज़दूरी देने का प्रावधान शामिल किया गया. इसके अलावा काग़ज़ों पर नौकरी बदलने और बिना मालिकों की अनुमति के देश छोड़ने का अधिकार भी दिया गया.

बावजूद इन प्रावधानों के एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि इन क़ानूनों का पालन नहीं हो रहा है. वहां घरेलू कामगारों पर काम का बोझ ज़्यादा है, उन्हें कोई ब्रेक नहीं मिलता है और उनके साथ काफ़ी दुर्व्यवहार भी होता है.

फ़िलीपींस से आए मज़दूरों की मदद करने वाली संस्था माइग्रेंट्स इंटरनेशनल की जोआन्ना कांसेपेकिनो का कहना है कि ये मेड ख़राब परिस्थितियों में काम करने के बारे में मुँह नहीं खोलतीं क्योंकि पैसा कमा कर परिवार को भेजना इनकी प्राथमिकता रहती है.

जोआन्ना बताती हैं कि जब मज़दूरों का भरोसा आपको मिल जाता है तब वे अपने साथ होने वाले बुरे व्यवहार के बारे में बताते हैं. एक ऐसी ही नौकरानी ने बताया कि जब उनके मालिक नाराज़ होते तो उनका सिर ज़बर्दस्ती टॉयलेट बेसिन में घुसा देते और उसका खाना-पीना तक बंद कर देते.

हालांकि एल्थिया (बदला हुआ नाम ) का क़तर में घरेलू मेड के तौर पर अनुभव दूसरों से काफ़ी बेहतर है. एल्थिया क़तर के शाही अल थानी परिवार में नौकरानी का काम करती हैं. उन्होंने शाही आवास के बेसमेंट से बीबीसी को वीडियो कॉल किया था. एल्थिया ने मुस्कुराते हुए बताया कि उनके मालिक ने उन्हें आई फ़ोन, कपड़े, जूलरी और जूते दिलाए हैं. ये सब सामान वह फ़िलीपींस में ख़रीदने का भी नहीं सोच सकतीं.

इन कामगारों को क्या-क्या करना होता है

क़तर में ग्लाडेस जो पैसे यहां प्रति माह कमा रही हैं, उनके लिए इतने पैसे अपने देश में कमाना बेहद मुश्किल है. यहां काम करने वाली इन सभी महिलाओं को अपना अलग बेडरूम और प्राइवेट किचन मिला हुआ है.

यह ख़ास सुविधा है. एल्थिया टिकटॉक और फ़ेसबुक पर ऐसे वीडियो देखती हैं जिनमें दूसरी मेड को खाने के लिए भीख मांगते या फिर मालिकों से छुड़ाने की गुहार लगाते देखा जा सकता है.

एल्थिया बताती हैं, “मैं ऑनलाइन ऐसे वीडियो देखती हूं इसलिए ख़ुद को लकी मानती हूं. हमारे लिए तो हर दिन परियों की कहानी जैसी होती है.”

हालांकि इन ‘सिंड्रेला पैलेसेज़’ में उन्हें भी काफी मेहनत करनी होती है. ऊंची छतों की साज सज्जा, झूमर, बेशक़ीमती मोतियों से जड़े सजाने के सामान और ताज़े कटे हुए फूलों को सजाना होता है.

इनके लिए कामकाजी दिन सुबह साढ़े छह बजे से शुरू होता है, जब परिवार के लिए नाश्ता बनाना होता है. परिवार के सदस्यों के खाना खा लेने के बाद एल्थिया खाना खाती हैं, इसके बाद कमरे की साफ़ सफ़ाई शुरू होती है और फिर दिन के खाने की तैयारी होती है.
एल्थिया बताती हैं, “हम कई लोग काम करने वाले हैं इसलिए काम कम लगता है.”

इसके बाद मेड अपने घरों में तीन बजे से छह बजे तक आराम करती हैं, इसके बाद रात के खाने की तैयारी होती है. रात का खाना होने के बाद एल्थिया अपना काम पूरा करने के बाद मालिक के घर से कहीं बाहर जाना चाहे तो जा सकती है.

शाही परिवार ने उसका पासपोर्ट नहीं रखा है लेकिन एल्थिया को हर दिन काम करना होता है, वीकएंड पर भी. उन्हें सप्ताह में एक दिन भी छुट्टी नहीं मिलती जिसका क़तर के क़ानून में प्रावधान है और जिसे नौकर के चाहे बगैर मालिक मना नहीं कर सकते. एल्थिया के मुताबिक़ सातों दिन काम करना, अपने परिवार की आर्थिक मदद की क़ीमत है.

ड्रीम जॉब’

खाड़ी देशों के अमीर लोगों को फ़िलीपींस से घरेलू कामगार दिलाने वाले वाली एक प्लेसमेंट एजेंसी की मालकिन मैरी ग्रेसी मोरालेस बताती हैं कि शाही महलों में काम करना किसी के लिए भी ‘ड्रीम जॉब’ जैसा है.

मोरालेस बताती हैं- “कई तरह के भत्ते मिलते हैं, परिवार भी उदार होता है.” अपने देश में पेश आने वाली परेशानियों का ज़िक्र करते हुए वो ये भी कहती हैं, “महलों में काम करने वाली लड़कियां मोटी हो जाती हैं, उन्हें अच्छा खाने-पीने को मिलता है.”

लेकिन मारोलेस बताती हैं कि शाही परिवारों में बेहद ख़ास योग्यता वाली मेड की ज़रूरत होती है. उन्होंने बताया, “क़तर के अमीर और शाही परिवार में नौकरानी के तौर पर 24 से 35 साल की सुंदर लड़कियां ही भेजी जाती हैं.”

उसने मुझे बताया, “क़तर के शाही परिवारों को नौजवान नौकरानी इसलिए चाहिए होती है ताकि ये ऊर्जावान और स्वस्थ्य नौकरानियां महलों के व्यस्त वातावरण में सब कुछ अच्छी तरह संभाल सकें. और इस नौकरी के लिए आवेदकों को सुंदर…बहुत सुंदर होना चाहिए.” मारोलेस ये दोहराती हैं.

परिवार की मदद का पेच

माइग्रेंट्स इंटरनेशनल की जोआन्ना कांसेपेकिनो उम्मीद ज़ाहिर करती हैं कि एल्थिया ने जो भी बताया वो सच हो. वह कहती हैं, “निश्चित तौर पर क्या स्थिति होगी, यह जानना मुश्किल है क्योंकि वह अभी भी क़तर में हैं और एक प्रभावशाली परिवार के यहां काम कर रही हैं.” ऐसे शाही परिवारों में काम करने वाले देश छोड़ने के बाद शिकायतें करते हैं.

साल 2019 में तीन ब्रिटिश और अमेरिकी कर्मचारी- एक बॉडीगार्ड, एक पर्सनल ट्रेनर और प्राइवेट ट्यूटर ने- अमीर की बहन, शेख़ अल मायसा बिंट हमाद बिन ख़लीफ़ा अल थानी और उनके पति पर आरोप लगाया था कि इन लोगों ने ओवरटाइम दिए बिना काफ़ी घंटे काम कराए.
हालांकि परिवार ने इन आरोपों से इंकार किया था. आरोप लगाने वालों ने न्यूयार्क में केस भी दर्ज कराया था जहां इस परिवार को कूटनीतिक संरक्षण हासिल है।

अरब देशों के लिए अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की क्षेत्रीय निदेशक रूबा जरादत कहती हैं, “हिंसा और उत्पीड़न के मामलों की रिपोर्टिंग और उनका हल, व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य की कमी और आवास की समस्या चुनौतीपूर्ण हो सकती है.”

आईएलओ का कहना है कि वह न्यूनतम वेतन, सप्ताह में एक दिन की छुट्टी, बीमारी की छुट्टी और ओवरटाइम भुगतान की गारंटी देने वाले नए नियमों को लागू करने के लिए क़तर के साथ काम कर रही है, हालांकि यह चुनौती भरा काम है.

एल्थिया अपने शाही महल में काम के लंबे घंटों के बावजूद खुश हैं. जब वह बिस्तर पर सोने जाती हैं तो वह फ़िलीपींस में अपने एक भाई-बहन या माता-पिता को संदेश भेजती हैं. उसे अक्सर अपने घर की याद आती है – परी कथाओं जैसा महल भी उनके लिए अपने घर जैसा नहीं है. हालांकि, यह आमदनी का एक महत्वपूर्ण स्रोत बना हुआ है.
वह बताती हैं, “मैं इस नौकरी के बिना कभी अपने परिवार की मदद नहीं कर सकती थी.”

-Compiled by up18 News


Discover more from Up18 News

Subscribe to get the latest posts sent to your email.