पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस सोमवार सुबह कोलकाता पहुंचे। इसके तुरंत बाद वह उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखली के लिए रवाना हुए। जहां स्थानीय महिलाएं पिछले कुछ दिनों से तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता शाहजहां शेख और उनके समर्थकों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहीं थीं। महिलाओं का उन पर यौन उत्पीड़न और बलपूर्वक जमीन के पट्टे कब्जाने का आरोप है।
संदेशखली में स्थानीय महिलाओं से मुलाकात के बाद राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने जो देखा वह भयानक और चौंकाने वाला था और उनके होश देने वाला था। उन्होंने कहा कि उनके अधिकारी क्षेत्र में जो कुछ हो सकता है, वह करेंगे। बोस ने लोगों से मुलाकात के बाद कहा कि वह वहां हुई घटनाओं से हैरान हैं। उन्होंने उनकी कलाई पर राखी बांधन वाली महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए हरसंभव मदद का भरोसा दिया।
जो देखा होश उड़ा देने वाला था: राज्यपाल
राज्यपाल बोस ने कहा, “मैंने जो देखा वह भयावह, चौंकाने वाला और मेरे होश उड़ा देने वाला था। मैंने कुछ ऐसा देखा जो मुझे कभी नहीं देखना चाहिए था। मैंने बहुत सी बातें सुनीं जो मुझे कभी नहीं सुननी चाहिए थी। मुझे भरोसा नहीं हो रहा है कि कवि गुरु रवींद्रनाथ टैगोर की भूमि में ऐसा हो रहा है।” बोस ने कहा कि वह संविधान के प्रावधानों और देश कानून के तहत व जो भी उनके अधिकारों के भीतर है, उसके खिलाफ लड़ेंगे।
‘संदेशखली की गलियों से असली संदेश क्या है?’
राज्यपाल बोस पहले ही संदेशखली के हालात पर एक व्यापक रिपोर्ट मांग चुके हैं। उन्होंने कहा, “जब मैंने संदेशखली की घटनाओं की चौंकाने वाली कहानियां सुनीं, तो मैंने केरल की अपनी यात्रा को बीच में ही रोक दिया। मैं संदेशखली जा रहा हूं। मैं खुद देखना चाहता हूं कि संदेशखली की गलियों से असली संदेश क्या है।”
बोस आज सुबह पश्चिम बंगाल वापस लौटे और संदेशखली के रवाना हुए। वह बंगाल महोत्सव में शामिल होने के लिए केरल गए थे। एक अधिकारी ने बताया कि राज्यपाल ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के शीर्ष अधिकारियों और केंद्र के मुख्य सतर्कता आयुक्त के साथ भी स्थिति पर चर्चा की।
घटनाओं को दबा रही सरकार: दिलीप घोष
हालांकि, भाजपा के वरिष्ठ नेता दिलीप घोष ने इस बात पर आशंका जताई थी कि राज्यपाल को को स्थिति की समीक्षा करने के लिए संदेशखली के अशांत इलाकों का दौरा करने की अनुमति दी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा था कि राज्यपाल को संदेशखली जाने के रास्ते में काले झंडे दिखाए जा सकते हैं और उनके पार्टी के वे सहयोगी जो वहां जाना चाहते हैं, उन्हें भी नाकेबंदी का सामना करना पड़ सकता है।
घोष ने कहा था, वह (राज्यपाल) एक संवेदनशील व्यक्ति हैं। वह जानते हैं कि लोगों को वहां प्रताड़ित किया जा रहा है। मुझे इस बात की चिंता है कि उन्हें काले झंडे दिखाए जा सकते हैं। उनके पूर्ववर्ती जगदीप धनखड़ ने इस तरह की कई घटनाओं का सामना किया था। घोष ने कहा, आज मेरी पार्टी के साथी संदेशखली जा रहे हैं। मैं नहीं जानता कि वे कहां तक आगे जा पाएंगे। सरकार संदेशखली की घटनाओं को दबाने की कोशिश कर रही है।
पुलिस ने सुवेंदु अधिकारी को रोका
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी और भाजपा के कई अन्य विधायकों को आज संदेशखली के इलाकों में जाने से रोक दिया गया है। पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा का हवाला दिया। इससे पहले दिन में सुवेंदु अधिकारी सहित भाजपा के छह विधायकों को विधानसभा से निलंबित किया गया। विधानसभा में में उन्होंने संदेशखली को लेकर प्रदर्शन किया था।
निलंबन के बाद अधिकारी अन्य भाजपा विधायकों के साथ संदेशखली के लोगों से मिलने के लिए एक बस में सवार हुए। अधिकारी ने कहा, “अधिकारियों ने निषेधाज्ञा का हवाला देते हुए हमें बसंती राजमार्ग पर रोक दिया। बशीरहाट पुलिस अधीक्षक के एक पत्र में दावा किया गया कि संदेशखली की मेरी यात्रा से इलाके में कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है।” उन्होंने कहा, “यह बेतुकी बात है। कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए संदेशखली से 65 किलोमीटर दूर मुझे कैसे रोका जा सकता है? हम राज्य सरकार की सच्चाई को दबाने के इस प्रयास की निंदा करते हैं।”
संदेशखली की महिलाओं ने प्रदर्शन क्यों किया
संदेशखली में महिलाएं पिछले कुछ दिनों से प्रदर्शन कर रहीं थीं। उनका आरोप है कि स्थानीय टीएमसी नेता शेख शाहजहां और उनके ‘गिरोह’ ने उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया है और उनका यौन उत्पीड़न किया है। महिलाएं शेख की गिरफ्तारी की मांग कर रही हैं। पिछले महीने कथित राशन घोटाले के मामले में शेख के घर पर छापेमारी की गई थी। इसी दौरान भीड़ ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम पर हमला कर दिया था। तबसे शेख फरार हैं।
-एजेंसी
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