मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार रात को राज्यपाल सी. वी. आनंद बोस से पहले टेलीफ़ोन पर बातचीत की और फिर दो पेज का एक पत्र भेजकर उनसे मंगलवार को राजभवन में पश्चिम बंगाल स्थापना दिवस नहीं मनाने का अनुरोध किया था.
इसके बावजूद मंगलवार को राजभवन में इसका आयोजन किया गया. इससे पहले पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ नियमित रूप से स्थापना दिवस का आयोजन करते रहे थे.
अब बोस के इस फ़ैसले को राजभवन और राज्य सचिवालय के बीच लगातार चौड़ी होती खाई का नतीजा माना जा रहा है.
राजभवन में आयोजित समारोह में राज्यपाल बोस ने अपने भाषण में कहा, “देश के विकास में बंगाल की अनूठी भूमिका है. खेल, संस्कृति और अर्थव्यवस्था में बंगाल के योगदान की अनदेखी नहीं की जा सकती.” उन्होंने विद्यासागर, राममोहन राय. नेताजी सुभाष चंद्र बोस, काज़ी नज़रूल इस्लाम और सत्यजित राय जैसे मनीषियों का ज़िक्र करते हुए राज्य के लोगों को स्थापना दिवस की शुभकामनाएं दीं.”
राज्यपाल ने इस मौक़े पर हिंसा को बर्दाश्त नहीं करने की बात कहते हुए आम जनता के निडर होकर मतदान करने के अधिकार पर ज़ोर दिया.
इससे पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार देर रात अपने पत्र में राजभवन में स्थापना दिवस समारोह के आयोजन पर चिंता जताई थी.
उन्होंने अपने पत्र में राजभवन में स्थापना दिवस आयोजित करने के राज्यपाल के फ़ैसले को एकतरफ़ा बताकर हैरानी जताते हुए कहा कि राज्य की स्थापना किसी विशेष दिन नहीं हुई थी.
समारोह में राज्य सरकार का कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं हुआ. इसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए. उधर, विपक्षी भाजपा ने इस मुद्दे पर राज्यपाल का समर्थन किया है.
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार का कहना था कि 20 जून, 1947 को ही राज्य विधानसभा ने बंगाल के विभाजन के फ़ैसले पर मुहर लगाई थी. यह इतिहास है और हम इसकी अनदेखी नहीं कर सकते. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी स्थापना दिवस समारोह आयोजित करना चाहिए.
Compiled: up18 News
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