जाने-माने इतिहासकार और लेखक विक्रम संपत ने मंगलवार को कहा कि हिंदू और मुस्लिम समुदायों के नेताओं को ज्ञानवापी मामले को अदालत से बाहर सुलझाने पर विचार करना चाहिए। इसकी वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि इस बात को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि विवादित स्थल पर सालों तक भगवान शिव का मंदिर था और बाद में वहां मस्जिद का निर्माण हुआ।
संपत ने न्यूज़ एजेंसी भाषा से बातचीत में कहा कि दोनों समुदायों के नेताओं को साथ बैठना चाहिए और देश के अन्य सभी मंदिरों से जुड़े विवादों को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए हिंदू पक्ष को विवादों को आपसी सहमति से ‘हमेशा के लिए’ निपटाने के लिए मुस्लिम प्रतिनिधियों के साथ बैठक करने से पहले ऐसे मंदिरों की समग्र सूची तैयार करनी चाहिए।
काशी-ज्ञानवापी को लेकर संपत की एक शोध आधारित पुस्तक जल्द ही बाजार में आने वाली है। इसका नाम है ‘वेटिंग फॉर शिवा: अनअर्थिंग द ट्रुथ ऑफ काशी ज्ञानवापी’।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सरकारों को सभी मंदिरों को अपने नियंत्रण से मुक्त करना चाहिए और हिंदू समुदाय को उन्हें स्वतंत्र रूप से प्रबंधित करने की अनुमति देनी चाहिए। संपत ने कहा कि 30,000 से अधिक हिंदू मंदिर तो सिर्फ तमिलनाडु सरकार के अधीन हैं।
उन्होंने कहा, ‘सभी सबूतों से पता चलता है कि उस स्थान पर वर्षों से भगवान शिव का मंदिर था। तहखाने (ज्ञानवापी मस्जिद) में भी पूजा शुरू हो गई है। अगला कदम यह होगा कि इस पूरी जगह को खाली कर दिया जाए।’
ज्ञानवापी मस्जिद विवाद अदालत के विचाराधीन है। वाराणसी की जिला अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में हिन्दुओं को पूजा की इजाजत दी थी। मस्जिद के जिस हिस्से में पूजा हो रही है, उसे ‘व्यासजी का तहखाना’ कहा जाता है।
संपत ने कहा, ‘सबसे बेहतर संभव समाधान यह है कि दोनों समुदाय और उनके धार्मिक नेता एक साथ बैठें और राजनेताओं को शामिल किए बिना विवाद का अदालत के बाहर समाधान करें।’
उन्होंने कहा कि काशी बड़ा शहर है और उन्हें (मुसलमानों को) शहर में कहीं और बहुत बड़ी और भव्य मस्जिद बनाने के लिए जमीन दी जा सकती है।
संपत ने कहा, ‘हमें यह स्थान (ज्ञानवापी और श्रृंगार गौरी मंदिर) वापस दे दीजिए जो हजारों वर्षों से हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘यह आदर्श स्थिति है और इस मुद्दे को हमेशा के लिए हल करने का सबसे अच्छा तरीका है।’
देश में अन्य सभी विवादित धार्मिक स्थलों का सर्वमान्य समाधान किए जाने की वकालत करते हुए संपत ने कहा कि सबसे पहले हिंदू समुदाय को उन सभी मंदिरों की एक व्यापक सूची तैयार करनी चाहिए जो समुदाय के लिए उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितने कि अयोध्या में राम मंदिर और मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि महत्वपूर्ण हैं।
उन्होंने कहा कि दोनों समुदायों को साथ बैठकर समाधान निकालना चाहिए ताकि वर्षों की कड़वाहट और कानूनी लड़ाई के पचड़े से बचा जा सके।
उन्होंने कहा कि भाईचारा और सामाजिक सौहार्द ‘व्यापक भलाई’ के लिए दोतरफा होना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘आइए हम इसे शांतिपूर्वक और हमेशा के लिए हल करें। हम बात कर रहे हैं नए भारत की… हम अतीत के संघर्षों में इस तरह नहीं फंस सकते।’
संपत की नवीनतम पुस्तक विभिन्न हिंदू धर्मग्रंथों, यात्रा वृत्तांतों, फारसी और औपनिवेशिक रिकॉर्डों, अभिलेखागार और कानूनी दस्तावेजों के आधार पर काशी-ज्ञानवापी विवाद के इतिहास पर लिखी गई है।
-एजेंसी