बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने एक बार फिर से पार्टी में दरकिनार किए जाने का आरोप लगाया है.
उन्होंने मंगलवार को पटना में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “मुख्यमंत्री ने कहा है कि पार्टी में उपेन्द्र कुशवाहा आए तो हमने उन्हें इज्जत दी और वे मुझसे स्नेह करते हैं. संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष मुझे जरूर बनाया गया. तब मुझे भी लगता था मुझे उन दायित्वों का निर्वहन करने का अवसर मिलेगा. मैं कार्यकर्ताओं के हितों की रक्षा कर पाऊंगा.”
संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष पद को झुनझुना बताते हुए उन्होंने कहा, “लेकिन मुझे बाद में पता चला कि संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष मुझे बनाया गया तो सीधे तौर पर एक झुनझुना मेरे हाथ में थमाया गया है. मैं अध्यक्ष बन गया पर सदस्यों को भी मनोनीत नहीं कर सकता, इसका क्या अर्थ है? मुझसे कभी कोई सुझाव नहीं मांगा गया.”
उपेन्द्र कुशवाहा ने ये भी कहा कि पार्टी चाहे तो उनसे विधान परिषद की सदस्यता वापस ले सकती है.
उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा, “मुझे एक लॉलीपॉप थमाया गया. राज्य सभा की सदस्यता छोड़ने में मुझे एक पल का भी मलाल नहीं होता है, भारत सरकार में मंत्री पद को छोड़ते हुए एक पल का मलाल नहीं हुआ तो एमएलसी (विधान परिषद की सदस्यता) कौन सी बड़ी चीज है. मुख्यमंत्री या पार्टी चाहें तो एमएलसी वापस ले सकते हैं.”
उन्होंने कहा, “अभी भी हम मुख्यमंत्री जी पर पूरा भरोसा करते हैं. हम उनका आदर करते हैं. आज भी मुख्यमंत्री जी से हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हैं कि पार्टी और लव-कुश समाज को बचा लीजिए. पार्टी में मेरे व्यक्तिगत अपमान का कोई सवाल नहीं है. गांधी जी का सामान भी फेंक दिया गया था. मेरे लिए आम लोगो के हितों की रक्षा ज़्यादा जरूरी है.”
इससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उपेन्द्र कुशवाहा की नाराज़गी पर कहा था, “क्या आपने कभी किसी राजनीतिक दल के भीतर होने वाली चर्चाओं पर बार-बार बाहर बात करते देखा है? लोगों को पार्टी में मिल कर बात करनी चाहिए. हमारा इतना स्नेह है कि पार्टी से कोई चला भी जाता है तो कोई फर्क नहीं पड़ता.”
उपेन्द्र कुशवाहा और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए बयानबाज़ी लगातार सुर्खियों में बनी हुई है. यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि कुशवाहा जल्द ही जेडीयू छोड़कर बीजेपी के साथ जा सकते हैं.
उपेन्द्र कुशवाहा क़रीब दो साल पहले ही जेडीयू में शामिल हुए थे. 2014 में जब नरेंद्र मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने थे तब कुशवाहा केंद्र में राज्यमंत्री भी बनाए गए थे. उस वक़्त वे अपनी पार्टी आरएलएसपी को लीड कर रहे थे. बाद में उन्होंने बीजेपी का साथ भी छोड़ दिया और बिहार में विपक्षी महागठबंधन के साथ जुड़ गए.
Compiled: up18 News
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