जजों की नियुक्‍ति: CJI के सिफारिशी प्रस्ताव का कॉलिजियम के ही दो जजों ने किया विरोध

National

वर्ष 2015 से चली आ रही है यह परंपरा

तब से कॉलेजियम ने किसी भी ऐसे व्यक्ति की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट जज की नियुक्ति के लिए नहीं की है जिसके नाम के प्रस्ताव को कम से कम चार जजों की मंजूरी नहीं मिली हो। वर्ष 2015 में 3-2 के बहुमत से एक जज की नियुक्ती की सिफारिश का प्रयास हुआ था, लेकिन तब केंद्र सरकार ने परंपरा का ध्यान दिलाते हुए सिफारिश को मंजूर नहीं किया था।

दो जजों ने किया विरोध, अलग-अलग नियमों का हवाला

ताजा मामले में सीजेआई के प्रस्ताव का दो जजों ने अलग-अलग कारणों से विरोध किया है। एक ने कहा कि जब तक आमने-सामने बैठकर कॉलेजियम की मीटिंग नहीं हो तब तक देश के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पोस्ट पर नियुक्तियों के लिए किसी नाम पर सहमति मांगना ही अनुचित है।

दूसरे जज ने कहा कि सीजेआई जस्टिस यूयू ललित को कॉलेजियम मीटिंग का अधिकार ही नहीं है क्योंकि वो एक महीने से भी कम वक्त में रिटायर होने जा रहे हैं। सीजेआई ललित 8 नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। दरअसल, सीजेआई की तरफ से कॉलेजियम के बाकी चार जजों को नामों का प्रस्ताव भेज दिया गया था, उनके साथ मीटिंग नहीं की गई।

जस्टिस ललित ने ही तब बनाया था यह नियम

बताया जाता है कि सीजेआई ललित ने ही इस वर्ष 1 अगस्त को ही तत्कालीन चीफ जस्टिस एनवी रमन के लिए समय-सीमा का नियम बनाया था। तब उन्होंने कहा था कि चूंकि सीजेआई रमन के पास रिटायरमेंट के लिए एक महीने से भी कम का वक्त है, इसलिए वो कॉलेजियम की मीटिंग नहीं बुला सकते। जस्टिस रमन सीजेआई के पोस्ट से 26 अगस्त को रिटायर हुए थे। तब जस्टिस ललित ने तत्कालीन सीजेआई रमन से साफ-साफ कहा था कि अगर उन्होंने कॉलेजियम मीटिंग बुलाई भी तो वो (जस्टिस ललित) इसमें भाग नहीं लेंगे।

तत्कालीन सीजेआई रमन को लिखी थी चिट्ठी

तब सरकार ने सीजेआई रमन को चिट्ठी लिखकर उनके उत्तराधिकार के नाम का प्रस्ताव मांगा था। उसके दो दिन पहले ही जस्टिस ललित ने सीजेआई को चिट्ठी लिखकर कॉलेजियम मीटिंग को लेकर अपना साफ-सुथरा विचार रखा था। 3 अगस्त को रात 9.30 बजे सरकारी की चिट्ठी सीजेआई ऑफिस पहुंची थी, उसके 12 घंटे के अंदर उन्होंने अगले सीजेआई के रूप में जस्टिस यूयू ललित का नाम सरकार को भेज दिया। 27 अगस्त को जस्टिस ललित ने देश के प्रधान न्यायाधीश के पद की शपथ ली तब कॉलेजियम की मीटिंग हुई थी।

क्या परंपरा पालन करेंगे सीजेआई ललित?

रिटायरमेंट के नजदीक आने के अलावा सीजेआई के प्रस्ताव का विरोध जिस कारण से हुआ है, उसमें एक यह भी है कि सरकार उनसे उनके उत्तराधिकारी का नाम मांग चुकी है। जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) का अगला सीजेआई बनना तय माना जा रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सीजेआई ललित अपने ही बनाए नियम की मर्यादा रखते हुए परंपरा का पालन करेंगे और जस्टिस चंद्रचूड़ का नाम यथासंभव तुरंत भेज देंगे?

तब जस्टिस ललित ने किया था कड़ा विरोध, और अब…

जस्टिस ललित ने 2 अगस्त को तत्कालीन सीजेआई रमन को दूसरी चिट्ठी लिखी थी। तब उन्होंने अपनी 1 अगस्त वाली चिट्ठी का हवाला देकर कहा था कि 26 अगस्त तक कॉलेजियम की मीटिंग नहीं हो सकती है। उन्होंने 3 अगस्त को बुलाई गई कॉलेजियम मीटिंग कैंसल करने को भी कहा था। उन्होंने कहा था, ‘आपसे आग्रह है कि कल बुलाई गई बैठक रद्द कर दें। अगर ऐसा नहीं हुआ तो मेरा सिद्धांत कहता है कि इस मीटिंग में भाग नहीं लूं।’

-Compiled by up18 News


Discover more from Up18 News

Subscribe to get the latest posts sent to your email.