अयोध्या में दलित युवती के साथ हैवानियत करने वाले तीन आरोपी गिरफ्तार

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अयोध्या: अयोध्या कोतवाली क्षेत्र के सहनवा गांव में दलित लड़की के साथ बलात्कार के बाद हत्या की घटना में 3 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। इस कुकर्म को अंजाम देने वाला गाँव का ही रहने वाला दिग्विजय सिंह उर्फ बाबा है । पुलिस ने दिग्विजय सिंह सहित अन्य दो आरोपी हरी राम कोरी और विजय साहू को गिरफ्तार किया है ।

30 जनवरी की रात से लापता – युवती 30 जनवरी की रात 10 बजे घर से निकली थी । इसके बाद वह वापस नहीं आई । परिजन गांव में ही ढूंढते रहे। परिजनों ने 31 जनवरी को अयोध्या कोतवाली में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई । एक फरवरी को घर से 500 मीटर दूर एक नहर में युवती की लाश नग्न अवस्था में मिली । शरीर पर 30 से ज्यादा चोट के निशान थे, रस्सी से हाथ-पैर बंधे थे।

दलित युवती के साथ दुष्कर्म में शामिल तीनों आरोपी दिग्विजय सिंह, विजय साहू और हरीराम कोरी साथ में मकानों की पेंटिंग का काम करते थे। बाबा उर्फ दिग्विजय निजी आईटी कॉलेज में चौकीदार भी करता था । हरीराम कोरी अयोध्या जिले के पूरा कलंदर का रहने वाला है, वह अपनी ससुराल में रहता था ।

इस मामले को लेकर नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद संसद के बाहर धरने पर बैठ गए हैं और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए प्रशासन और सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हैं ।

आजाद समाज पार्टी कांशीराम के प्रमुख चंद्रशेखर रावण ने सोमवार को सरकार पर दलितों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाते हुए अपने अकाउंट पर लिखा उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले में पिछले दो दिनों में दलित समाज के व्यक्ति की दूसरी नृशंस हत्या ने एक बार फिर डबल इंजन सरकार के दलित विरोधी चेहरे को बेनकाब कर दिया है। यह सरकार न केवल दलितों की सुरक्षा देने में विफल रही है, बल्कि अपराधियों को खुली छूट देकर अत्याचार को बढ़ावा दे रही है।

पूराकलंदर थाना क्षेत्र के सरियावा गांव में 60 वर्षीय दलित ध्रुव कुमार की लोहे की रॉड व लाठी से पीट-पीट कर की गई निर्मम हत्या कोई अकेली घटना नहीं है, बल्कि जातिवादी मानसिकता और प्रशासनिक निष्क्रियता का प्रत्यक्ष प्रमाण है। प्रदेश में दलितों के लिए न्याय पाना कठिन ही नहीं, बल्कि असंभव होता जा रहा है। जब दलितों की हत्या हो रही है, तब सरकार और प्रशासन मूकदर्शक बने हुए हैं।

हम उत्तरप्रदेश सरकार से मांग करते हैं: 1. हत्या के दोषियों को अविलंब गिरफ्तार कर कठोरतम दंड दिया जाए। 2. पीड़ित परिवार को ₹1 करोड़ की आर्थिक सहायता दी जाए। 3. दलितों पर हो रहे अत्याचार की निगरानी के लिए एक स्वतंत्र न्यायिक आयोग का गठन किया जाए। न्याय की लड़ाई में हम चुप नहीं बैठेंगे!

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