खुद ही उड़ाते रहते हैं माँ काली का उपहास, सिगरेट वाली फोटो पर अब सेक रहे हाथ…

अन्तर्द्वन्द

ऐसे तो करते है माँ काली की आराधना, पर उनके रूप रंग की लड़की को कभी नही चाहते है बहुँ बनाना

काले रंग की लड़की पैदा होते ही कसते है तंज, कहते है काली मां आ गयी घर मे इसका रिश्ता करेंगे किसके संग

आभा शुक्ला

फिल्ममेकर लीना मनिमेकलाई ने सोशल मीडिया पर अपनी फिल्म का पोस्टर शेयर किया है, जिस पर जमकर बवाल हो रहा है.. यह एक डॉक्युमेंट्री फिल्म है, जिसका टाइटल ‘काली’ है.. और इसके विवादित पोस्टर में माता काली को सिगरेट पीते दिखाया गया है.. इतना ही नहीं काली माता के हाथ में LGBT का झंडा भी दिखाया गया है.. पोस्टर के आउट होते ही लोग इसका न केवल जमकर विरोध कर रहे हैं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से इस पर जरूरी कार्रवाई की मांग भी कर रहे हैं…

काली माता के लिए धुर दक्षिणपंथी समूह का ये सम्मान मुझे अचरज में डाल जाता है… अच्छे अच्छे मां काली के भक्त अपने घर में काली बहू नही लाना चाहते… काली माता को चाहें जितना मानते हों पर पर काली लड़की स्वीकार नहीं है… बेटे के लिए बहू लाना हो तो गोरी त्वचा की लड़की ही चलेगी की धारणा रखने वाले लोग मां काली का इतना सम्मान कबसे करने लगे… शर्म करिए,आप वही लोग हैं जो काली रंगत की लड़की को समाज में कभी चैन से जीने नही देते..

हमारे पितृसत्तात्मक समाज में तो मां काली फिट ही नही बैठती… अगर मां काली एकाएक प्रकट हो जाएं तो भारतीय पुरुष प्रधान समाज की भावनाएं तो आत्महत्या कर लेंगी मां काली के आचरण के कारण… हमारे समाज में महिलाओं के शरीर को सिर से लेकर पांव तक ढकना अनिवार्य माना जाता है… लेकिन दूसरी ओर नग्न रूप में रहने वाली मां काली की पूजा की जाती है…यदि कोई महिला अपनी जीभ दिखा रही है, तो उसे अपमानजनक माना जाता है ..लेकिन मां काली को हमेशा अपनी जीभ दिखाते हुए देखा जा सकता है..कई धार्मिक तस्वीरों में काली मां को अपने पति (शिव) की छाती पर पैर रखते देखा गया है ..लेकिन महिलाओं को अपने पति की पूजा करना सिखाया जाता है..हमारे तथाकथित समाज में केवल निष्पक्ष चमड़ी वाली महिलाओं को भाग्यशाली माना जाता है.. लेकिन मां काली चमड़ी वाली काली अपने आप में भाग्यशाली हैं..

यानी मां काली का स्वरूप और उनका आचरण हर कदम पर भारतीय पितृसत्ता से बगावत का है… घर की बहू और बेटी में अगर मां काली का एक भी गुण आ जाए तो समाज उसको कभी भी अच्छा नहीं मानेगा..शर्त लगा सकता हूं मैं कि धुर दक्षिणपंथी लोग कभी मां काली के स्वरूप और स्वभाव को स्वीकार नहीं कर सकते… वो सिर्फ भावनाएं आहत होने का दिखावा कर सकते हैं और कुछ नही… मै अक्सर कहता हूं न कि हमारी धार्मिक भावनाएं बड़ी द्विअर्थी होती हैं.. बिलकुल सच है ये… खैर फिलहाल तो काली मां में आस्था और उनके लिए भावनाएं आहत दिखाने वाला अपना ड्रामा बंद करो… जिसदिन तुम्हारे घर में काली मां ने जन्म ले लिया और खड़ी हो गई अपने पति की छाती पर पैर रखकर उस दिन पता नही क्या कर जाओगे क्रोध में तुम… बाकी अगर सच में मां काली में आस्था रखते हो तो काली रंगत की लड़कियों का उपहास उड़ाना बंद कर दो, बड़ा एहसान होगा…

-up18news