विज्ञान के क्षेत्र में ज्यों-ज्यों विकास हो रहा है, त्यों-त्यों प्रकृति से जुड़े ऐसे रहस्य सामने निकलकर आ रहे हैं जिन पर कभी यकीन करना मुश्किल था। सालों पहले जब नोबेल पुरुस्कार विजेता और महान वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस ने पेड़-पौधों में जीवन होने की बात कही थी। उस दौरान ये नई धारा के वैज्ञानिकों के लिए एक अबूझ पहेली थी। हालांकि, जब इसे वैज्ञानिक ढंग से प्रमाणित किया गया तो समस्त विज्ञान परंपरा ने इस महान खोज की स्वीकृति दी।
जगदीश चंद्र बोस वो पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने इस बारे में बताया कि पौधों में जीवन होता है। वे प्रतिक्रिया देते हैं और अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं। इसी कड़ी में इस्रराइल के वैज्ञानिकों ने अपने शोध में एक खास बात के बारे में पता लगाया है। शोध में इस टीम ने खुशी और दर्द में पेड़ पौधों से निकलने वाली आवाजों को सुनने में सफलता पाई है।
इस्राइली टीम द्वारा की गई यह खोज उस बात को सच साबित करती है, जो 105 साल पहले जगदीश चंद्र बोस ने कही थी। इस शोध को मशहूर पत्रिका सेल में प्रकाशित किया गया है।
शोध के दौरान तम्बाकू और टमाटर के पौधों के पास एक खास तरह का अल्ट्रासोनिक यंत्र रखा गया। इसके बाद शोध में इस बात का पता चला कि पौधे जब पानी के अभाव में क्षतिग्रस्त होते हैं तो उस दौरान एक घंटे में 20 से 100 किलो हर्ट्ज की फ्रीक्वेंसी पर आवाज करते हैं।
इन आवाजों को मनुष्य नहीं सुन सकता है। हालांकि, जानवर और आसपास के दूसरे पौधे इसे सुन सकते हैं। इसी के आधार पर जानवर यह तय करते हैं कि कौन से पौधों के पास अंडे देना सही है और कौन से पर नहीं। इन पौधों के आवाज की रिकॉर्डिंग एक साउंड प्रूफ चैंबर में की गई।
खुशी और दर्द में पौधों से आने वाली ध्वनि का यह नया शोध है। सबसे खास बात यह है कि अगर इन पौधों के साउंड पैटर्न को समझने में सफलता मिल जाती है तो इस स्थिति में इन पौधों से संवाद भी किया जा सकेगा। इस शोध का बहुत बड़ा उपयोग आने वाले समय में होने वाला है। इससे यह पता चल सकेगा कि किसानों को कौन से पौधों को कब पानी देना है और कब नहीं?
Compiled: up18 News