पेड़-पौधों में भी होता है जीवन, करते हैं बातचीत, क्या कहती है वैज्ञानिकों की नई खोज?

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इस्राइली टीम द्वारा की गई यह खोज उस बात को सच साबित करती है, जो 105 साल पहले जगदीश चंद्र बोस ने कही थी। इस शोध को मशहूर पत्रिका सेल में प्रकाशित किया गया है।

शोध के दौरान तम्बाकू और टमाटर के पौधों के पास एक खास तरह का अल्ट्रासोनिक यंत्र रखा गया। इसके बाद शोध में इस बात का पता चला कि पौधे जब पानी के अभाव में क्षतिग्रस्त होते हैं तो उस दौरान एक घंटे में 20 से 100 किलो हर्ट्ज की फ्रीक्वेंसी पर आवाज करते हैं।

इन आवाजों को मनुष्य नहीं सुन सकता है। हालांकि, जानवर और आसपास के दूसरे पौधे इसे सुन सकते हैं। इसी के आधार पर जानवर यह तय करते हैं कि कौन से पौधों के पास अंडे देना सही है और कौन से पर नहीं। इन पौधों के आवाज की रिकॉर्डिंग एक साउंड प्रूफ चैंबर में की गई।

खुशी और दर्द में पौधों से आने वाली ध्वनि का यह नया शोध है। सबसे खास बात यह है कि अगर इन पौधों के साउंड पैटर्न को समझने में सफलता मिल जाती है तो इस स्थिति में इन पौधों से संवाद भी किया जा सकेगा। इस शोध का बहुत बड़ा उपयोग आने वाले समय में होने वाला है। इससे यह पता चल सकेगा कि किसानों को कौन से पौधों को कब पानी देना है और कब नहीं?

Compiled: up18 News