सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की समान नागरिक संहिता पर गठित कमेटी को चुनौती देने वाली याचिका

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उत्तराखंड सरकार की कमेटी मई तक देगी अपनी रिपोर्ट

उत्तराखंड सरकार के द्वारा गठित समिति को राज्य में समान नागरिक संहिता के अध्ययन और क्रियान्वयन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। बीते दिनों सरकार ने समिति का कार्यकाल छह और महीने के लिए बढ़ाया था। यह समिति मई 2023 तक अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप सकती है। उत्तराखंड सरकार की तरह ही गुजरात में भी सरकार ने समिति बनाने का फैसला किया था।

अनूप बर्णवाल ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी याचिका

समान नागरिक संहिता पर राज्य सरकार द्वारा कमेटी बनाने के फैसले को चुनौती देते हुए अनूप बर्णवाल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। जिसपर सुनवाई मुख्य न्यायधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिंहा की पीठ ने सुनवाई की। सुनवाई के बाद सीजेआई ने कहा कि सिर्फ समिति के गठन को चुनौती नहीं दी जा सकती है। संविधान के अनुच्छेद 162 के तहत राज्यों के पास इस तरह की समिति गठित करने का अधिकार है।

समान नागरिक कानून पर सबसे पहले उत्तराखंड ने गठित की थी कमेटी

उल्लेखनीय हो कि समान नागरिक कानून पर कमेटी गठित करने का फैसला लेने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य है। उत्तराखंड के बाद गुजरात सरकार ने पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव से पहले समिति बनाने को लेकर फैसला लिया था। पिछले साल 29 अक्टूबर को गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार ने समान नागरिक संहिता को लागू करने के बारे में अध्ययन करने वाली समिति को बनाने का फैसला लिया था। गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने कहा था कि चुनाव आदर्श आचार संहिता लागू होने पहले समिति गठित कर ली जाएगी।

Compiled: up18 News