नई दिल्ली। राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने कहा है कि वरिष्ठ कथाकार गीतांजलि श्री के उपन्यास ‘रेत समाधि’ का इंटरनेशनल बुकर प्राइज की लांग लिस्ट में पहुंचना हिंदी की शक्ति और संभावनाओं का सबूत है। जबकि गीतांजलि श्री ने कहा है कि लिखना अपने आप में मुकम्मल पुरस्कार है पर बुकर से पहचान मिलने पर उसमें कुछ बहुत ख़ास जुड़ जाता है। ‘रेत समाधि’ हिंदी साहित्य की यह पहली कृति है जिसके अंग्रेजी अनुवाद ‘टॉम्ब ऑफ़ सैंड’ ने इस प्रतिष्ठित पुरस्कार की दावेदार किताबों की सूची में जगह बनाई है।
‘रेत समाधि’ के इंटरनेशनल बुकर प्राइज की लांग लिस्ट में शामिल होने पर राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने कहा, हमारे लिए निश्चय ही यह बहुत खुशी की बात है। हमने इसे प्रकाशित किया है। हिंदी की यह पहली किताब है जिसे इस प्रतिष्ठित पुरस्कार की सूची में शामिल किया गया है। यह वरिष्ठ कथाकार गीतांजलि श्री के लेखन की वैश्विक स्वीकृति का विस्तार है, साथ ही हिंदी भाषा और साहित्य की शक्ति और संभावनाओं का सबूत है।
उन्होंने कहा, ‘रेत समाधि’ हिंदी भाषा-साहित्य की उपलब्धि है। यह अपने ढंग की अकेली कृति है। ऐसा उपन्यास दशकों में कोई एक लिखा जाता है। इस उपन्यास में हम अपनी हिंदी भाषा का सौष्ठव सहजता से देख सकते हैं, शब्दों की विविधता के हिसाब से, उनके प्रयोग के हिसाब से या उनमें निहित लय व संगीत के हिसाब से। यह हर तरह से एक मुकम्मल कृति है। इसमें सिर्फ मनुष्य नहीं, पक्षी, साडियाँ और सरहद तक संवाद करते हैं। यह संवेदनशीलता का विरल उदाहरण पेश करती है। इस उपन्यास में इनसान की बनाई सरहदों की लकीरें मिट जाती हैं, मजहब की सीमाएं नहीं रह जातीं। ये सारे विभाजन प्रेम में विलीन हो जाते हैं।
अशोक महेश्वरी ने कहा, हमें खुशी है कि इस उपन्यास ने ऐसे एक प्रतिष्ठित पुरस्कार की लांग लिस्ट में अपना नाम दर्ज कराया है जिसमें आम तौर पर पश्चिमी जगत का बोलबाला रहा है।
उधर, अपने उपन्यास ‘ रेत समाधि’ के अंग्रेजी अनुवाद ‘टॉम्ब ऑफ़ सैंड’ के इंटरनेशनल बुकर प्राइज की लांग लिस्ट में शामिल होने पर वरिष्ठ कथाकार गीतांजलि श्री ने कहा, लिखना अपने आप में ही मुकम्मल पुरस्कार है। पर बुकर जब पहचान दे तो उसमें कुछ बहुत ख़ास जुड़ जाता है। उन्होंने कहा, दुनिया का जो हाल हो रहा है, उसमें साहित्य जैसी चीज़ को मान मिले, उसकी जगह बची रहे, तो सारी चिंताओं के बावजूद उम्मीद बँधती है। और क्या कहूँ, अच्छा लग रहा है!
गौरतलब है कि इंटरनेशनल बुकर प्राइज अंग्रेजी में अनूदित और ब्रिटेन या आयरलैंड में प्रकाशित किसी पुस्तक को प्रति वर्ष दिया जाता है। राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित ‘ रेत समाधि’ का अंग्रेजी अनुवाद ‘टॉम्ब ऑफ़ सैंड’ शीर्षक से डेजी रॉकवेल ने किया है। इस अनुवाद को ही इस वर्ष के इंटरनेशनल बुकर प्राइज की लोंग लिस्ट में शामिल किया गया है।
गीतांजलि श्री के अब तक चार उपन्यास, ‘माई’, ‘हमारा शहर उस बरस’, ‘तिरोहित’ और “खाली जगह’
प्रकाशित हो चुके हैं। उनके चार कहानी संग्रह भी प्रकाशित हैं। उनकी रचनाओं के अनुवाद भारत और यूरोप की अनेक भाषाओं में हुए हैं।