फिल्‍म ‘वो 3 दिन’ में रिक्शा चालक की जिंदगी को बेहद करीब से दिखाया गया है

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संजय मिश्रा की अनोखी बातें

फिल्म में रिक्शा चालक का किरदार निभा रहे संजय मिश्रा ने बताया कि वक्त काफी तेजी से बदल रहा है और हमारे आसपास भी बहुत सी चीजें बदल रही हैं। लोगों को यह फिल्म इसलिए देखनी चाहिए कि इसमें एक निचले वर्ग की कहानी दिखाई गई है। तेजी से बदलते दौर में अब साइकल रिक्शा की जगह ई-रिक्शा और अन्य साधनों ने ले ली है, लेकिन बहुत सी जगहों पर अभी भी साइकल रिक्शा चलते हैं। इस फिल्म में उन्हीं साइकल रिक्शा चलाने वाले लोगों के जीवन के संघर्ष को दिखाया गया है।

फिल्म में काम नहीं मिला तो पानवाला बन जाऊंगा

उन्होंने आगे कहा, ‘यह कोशिश की गई है कि दर्शक उनके बारे में भी जानें कि उन लोगों पर कितनी जिम्मेदारी होती है, वो किस तरह से घर चलाते हैं, जिंदगी में कितना रिस्क लेते हैं और कैसे सब मैनेज करके अपनी जिंदगी जीते हैं। साइकल रिक्शा वाले का किरदार निभाने को लेकर उन्होंने बताया ‘इस किरदार के लिए मैंने किसी विशेष रिक्शे वाले को फॉलो नहीं किया कि उसी की तरह दिखना है या उसकी दिनचर्या को दिखाना है। किरदार निभाते समय मैंने यही सोच रखी कि कल को फिल्मों में काम नहीं मिलेगा तो मैं भी रिक्शा वाला बन जाऊंगा या फिर पान वाला बन जाऊंगा।’

रिक्शावाला बनूंगा तो 30 पैसे में जीऊंगा

संजय ने आगे बताया कि ‘आज काम है तो 2 रुपये में जीता हूं, कल को रिक्शा वाला रहूंगा तो 30 पैसे में जीने की कोशिश करूंगा और उन 30 पैसों में से भी सोचकर खर्च करूंगा कि क्या उन पैसों से कोई और भी काम हो सकता है इसलिए किरदार निभाने के लिए मेरी वही सोच रही, जो हर आम नागरिक की होती है कि कैसे जिंदगी को मैनेज करना है।’

किरदार जो भी हो, मेहनत करनी पड़ती है: चंदन सान्याल

इस फिल्म में वॉल्टर वाइट नाम से रिक्शा चालक की सवारी बने चंदन सान्याल ने बताया कि फिल्म में उनका किरदार कॉमेडी से भरपूर है। वॉल्टर वाइट एक पागल की तरह है जो रिक्शा चालक को 3 दिन के लिए 3 हजार रुपये देने के लिए तैयार रहता है। यह सुनकर रिक्शा चालक भी चौंक जाता है कि कोई 3 दिन के लिए 3 हजार रुपये क्यों दे रहा है।

चंदन के कई रोल्स

इसके अलावा चंदन ने वेब सीरीज ‘आश्रम’ में भोपा स्वामी के रूप में निभाए गए अपने किरदार और इस फिल्म में किए गए अपने रोल के बारे में बताया ‘दोनों ही किरदार बहुत अलग हैं। भोपा स्वामी का किरदार एक गंभीर किरदार था जबकि वॉल्टर वाइट एक फनी शख्सियत है। लेकिन किरदार किसी का भी हो, मेहनत तो करनी ही पड़ती है इसलिए काम में सुधार लाने के लिए मेहनत करते रहते हैं।’

-एजेंसी