आगरा: छावनी अस्पताल इस समय पीपीपी मॉडल पर चल रहा है। पीपीपी मॉडल पर संचालित होने से अस्पताल के कर्मचारियों की स्थिति दयनीय बन गयी है। यहाँ काम करने वाले कर्मचारियों को वेतन तक नही मिल रहा है। कई कर्मचारी ऐसे है जिनका कई महीनों से वेतन अटका हुआ है। वेतन की डिमांड करने पर नौकरी से निकाल देने की धमकी मिल जाती है। ऐसे में जो मिल रहा है, कर्मचारी उसे ही रखने को मजबूर है।
सूत्रों की माने तो छावनी अस्पताल में कई महीनों से यही राज चल रहा है। एक कर्मचारी तो सुसाइड भी कर चुका है और उसके पीछे का कारण वेतन न मिलना बताया जा रहा है। छावनी अस्पताल में काम करने वाला कोई भी सफाई कर्मचारी हो या फिर नर्सिंग स्टाफ से जुड़ा कर्मचारी, इस समय सभी वेतन को लेकर परेशान हैं। कर्मचारी खुलकर तो कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है लेकिन दबी जुबान और नाम छिपाने के आश्वासन पर छावनी अस्पताल की हकीकत बताने को तैयार हुए।
इस संबंध में छावनी अस्पताल के पीआरओ से वार्ता हुई तो उन्होंने मीडिया से बात करने से इंकार कर दिया लेकिन उनका कहना था कि हर कर्मचारी सीधे ठेकेदार से बात करता है। वेतन संबंधित काम उनका नहीं है वह सिर्फ मैनेजमेंट देखते हैं। अगर किसी कर्मचारी को वेतन संबंधित समस्या है तो वह सीधे ठेकेदार से बात करें।
बेरोजगारी का आलम है, महंगाई से हर व्यक्ति परेशान है। ऐसे में छावनी अस्पताल के कर्मचारी भी मजबूरी में काम करने को मजबूर है। उनका कहना है कि अगर उन्होंने आवाज उठाई तो उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है। ऐसे में जब बेरोजगारी चरम पर है वह नौकरी गवाना नहीं चाहते।