आज देश को 36वां राफेल विमान मिल गया है। भारतीय वायु सेना ने मीडिया से बातचीत में बताया कि राफेल डील के बाद देश को अंतिम और 36वां राफेल विमान आज भारत पहुंचा है। आईएएफ ने आगे बताया कि विमान यूएई वायु सेना के टैंकर से मध्य हवा में तेजी से ईंधन भरने के बाद फ्रांस से भारत पहुंचा। साल 2016 में भारत ने जिन 60,000 करोड़ रुपये से अधिक के सौदे पर हस्ताक्षर किए थे, उन सभी विमानों की डिलीवरी अब पूरी हो गई है।
भारत को पहले 35 Rafale विमान सौंप चुका है फ्रांस
आपको बता दें कि इसके पहले फ्रांस ने डील के मुताबिक 35 राफेल फाइटर जेट भारत को सौंप दिए थे। ये जेट अंबाला (हरियाणा) और पश्चिम बंगाल के हाशिमारा में तैनात हैं। न्यूज़ एजेंसी एएनआई ने बताया कि अधिकारियों ने कहा था कि आरबी टेल नंबर वाला 36वां विमान फ्रांस ने भारत को सौंप दिया है और इसके सभी पुर्जों और अन्य पुर्जों को बदल दिया गया है क्योंकि इसका उपयोग अपग्रेडिंग के लिए किया जा रहा था।
गुरुवार से भारतीय वायु सेना (IAF) की पूर्वी वायु कमान अपनी युद्ध-क्षमता और रणनीति का परीक्षण करने के लिए दो दिवसीय प्रमुख अभ्यास करेगी। हालांकि इस अभ्यास की योजना बहुत पहले बनाई गई थी, लेकिन यह ऐसे समय में आया है जब चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) और भारतीय सेना के सैनिकों के बीच 9 दिसंबर की झड़प के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर फिर से तनाव बढ़ गया है। द प्रिंट के मुताबिक भारतीय वायुसेना के अभ्यास के मद्देनजर चीनी सेना ने अपनी सतर्कता बढ़ा दी है और अपने शिगात्से हवाईअड्डे पर हवाई पूर्व चेतावनी विमान तैनात कर दिए हैं।
भारतीय सेना ने सैन्य स्ट्रक्चर में किए कई बदलाव
दिप्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में जब से एलएसी पर तनाव बढ़ा है तब से भारतीय वायुसेना पूरी तरह से ऑपरेशनल अलर्ट पर है और किसी भी चीनी खतरे से लड़ने के लिए अपनी तैनाती और ऑपरेशनल स्ट्रक्चर में कई बदलाव किए हैं। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि भारतीय वायुसेना ने चीन की “एंटी एक्सेस एरिया डेनियल (A2AD)” की रणनीति का मुकाबला करने के लिए एक पूर्ण आक्रामक और रक्षात्मक तैनाती की है।इस साल के मध्य से एलएसी पर चीन की हवाई गतिविधियां बढ़ गई हैं, जिससे दोनों वायुसेनाओं की बेचैनी बढ़ गई है।
भारत और चीन के वायु सेना अधिकारियों ने अगस्त में की थी बैठक
अगस्त में भारत और चीन के वायु सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने पहली बातचीत भी की थी। भारत और चीन के बीच हुए समझौते के मुताबिक कोई भी लड़ाकू विमान या हथियारबंद हेलीकॉप्टर एलएसी के 10 किलोमीटर के दायरे में नहीं आ सकता है। रसद हेलीकाप्टरों की सीमा एक किलोमीटर है। रिपोर्ट ने ये भी बताया है कि अभ्यास के दो तत्व हैं जिनमें रक्षा युद्धाभ्यास– वायु रक्षा संपत्तियों को सक्रिय करना और आक्रामक शामिल हैं। उन्होंने कहा कि अभ्यास में उन परिदृश्यों में संचालन शामिल होगा जहां प्रारंभिक चेतावनी वाले हवाई विमान चलन में होंगे और अंधेरे में भी संचालित होंगे।
Compiled: up18 News
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