आगरा: मोहब्बत की निशानी ताजमहल का दीदार करने के लिए प्रतिदिन सैकड़ों लोग पहुंचते हैं। कई बार बारकोड स्कैन न होने से उन्हें टिकट खरीदने में जो समस्याएं आती हैं, कुछ लपके इस समस्या का फायदा उठाने लगे हैं। इस समस्या के चलते एक अलग ही व्यवसाय ताजमहल व अन्य स्मारकों पर व्यस्थित होकर संचालित होने लगा है जो पर्यटकों को टिकट उपलब्ध कराता है इसके बदले अधिक रुपये वसूले जाते है। पर्यटक भी खुशी खुशी उसे अधिक रुपये देकर टिकट खरीद लेता है क्योंकि जो सहूलियत पर्यटन एएसआई और सरकार नहीं दे पा रही वह एक लपका का दे रहा है।
50 वाली टिकट बिकती है 60 में
ताजमहल भ्रमण करने के लिए भारतीय पर्यटकों को प्रवेश शुल्क के रूप में 50 रुपये देने होते है लेकिन जब से ऑनलाइन टिकट खरीदने के लिए ताजमहल पर बारकोडिंग व्यवस्था लागू की गई है उससे पर्यटकों को काफी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। ताजमहल नो इंटरनेट श्रेणी में आता है, इसीलिए नेट काम नहीं करता। पर्यटकों को बारकोडिंग स्कैन करने में काफी समस्या आती है। इसी समस्या का लपके फायदा उठा रहे हैं। ₹50 वाली टिकट को खुलेआम ₹60 में बेचा जा रहा है। ₹50 की टिकट तो मिलती है लेकिन उस पर ₹10 एक्स्ट्रा उनका सुविधा शुल्क है। अगर आप उनसे मोलभाव करोगे तो आपको टिकट नहीं मिलेगी बल्कि खुद ही ऑनलाइन टिकट खरीद कर बारकोडिंग स्कैन करना होगा।
पर्यटन पुलिस पर वसूली का आरोप
ताजमहल पर खबर करने के दौरान कुछ लपकों पर नजर गयी। लपके पर्यटकों के बीच खड़े थे और बेखौफ होकर अवैध रूप से ताजमहल की ऑनलाइन टिकटों को बेच रहे थे। पर्यटक से पूछ रहे थे कितनी टिकट चाहिए उतनी टिकट मिलेगी लेकिन प्रति टिकट ₹60 देना होगा। ₹10 एक्स्ट्रा बारे में पूछा गया तो उसका कहना था कि पुलिस को भी तो देना पड़ता है। अगर पुलिस को नहीं देंगे तो वह काम नहीं करने देगी। लपकों ने बातों ही बातों में बताया कि पर्यटन पुलिस हर लड़के से 300 से ₹400 प्रति दिन के हिसाब से वसूलती है तब जाकर यहाँ काम कर पाते हैं।
जिस तरह से लपके बेबाक होकर पुलिस की पोल खोल रहे थे, उससे साफ है कि ऑनलाइन टिकट बेचे जाने का ये अवैध धंधा पुलिस के संरक्षण में ही चल रहा है। ताजमहल के आसपास बारकोडिंग स्कैन के पास एक दो नहीं बल्कि दर्जनभर से अधिक संख्या में लपके नजर आए जो सिर्फ ऑनलाइन टिकट को 50 हफ्ते की अपेक्षा ₹60 में बेच रहे थे। उनका कहना था कि सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का।
ताजमहल पर लपकागिरी तो तेजी के साथ चल ही रही थी लेकिन अब लपकों द्वारा ऑनलाइन टिकट अवैध रूप से बेचे जाने का जो अवैध धंधा शुरू कर दिया है। उससे पर्यटकों की जेब पर डाका डल रहा है। लपके बेखौफ होकर अतिरिक्त रुपए में टिकट तो बेच रहे हैं लेकिन कई पर्यटक अगर इनके चंगुल में फंस गया तो उसे अच्छी खासी रकम भी ऐंठ लेते है।
पर्यटन, एएसआई और स्थानीय प्रशासन को पर्यटकों की बार कोडिंग स्कैनर समस्या से कोई भी सरोकार नहीं है। इसीलिए तो अभी तक इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया। इंटरनेट की व्यवस्था दुरुस्त नहीं हो पाई और न ही इसका कोई और हल निकाला गया है। इसीलिए अब यह समस्या लपकों के लिए सोने की मुर्गी बन गई है। लपके टिकट खरीदते हैं और उसे ₹60 के हिसाब से बेच देते हैं।
एसएसपी आगरा सुधीर कुमार का कहना है कि लपकों की समस्या थी, उसे दूर किया गया लेकिन एक बार फिर समस्या सामने आ रही है। लपकों को लेकर जो उचित कार्रवाई होगी वह की जाएगी।