जहां त्याग नहीं वहां कैसी सफलता ?

त्याग न केवल मनुष्य की उच्च नैतिक स्थिति को पार करता है, लालच, क्रोध, सुखवाद आदि जैसी नकारात्मक भावनाओं और नकारात्मक दृष्टिकोण को कम करता है बल्कि दूसरों को उनके अधिकारों का एहसास कराने में भी मदद करता है। “बलिदान के बिना कोई प्रगति नहीं हो सकती, कोई उपलब्धि नहीं हो सकती और किसी व्यक्ति […]

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आखिर क्यों आदर्श आचार संहिता की कोई नज़ीर पेश नहीं होती?

बीते कुछ सालों में देश में जितने भी चुनाव हुए हैं, चाहे वो लोकसभा के हों या विधानसभा के, सब में आचार संहिता उल्लंघन के मामले सामने आते रहे हैं। राजनीतिक पार्टियां आमतौर इसे बहुत गंभीरता से नहीं लेतीं। उल्लंघन करने पर कार्रवाई तो होती है, पर वो ऐसी नहीं होती की कोई नज़ीर पेश […]

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बिना स्वतंत्र मीडिया के स्वस्थ लोकतंत्र को सुनिश्चित कर पाना संभव नहीं

राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते राजनेताओं और मीडिया घरानों के बीच सांठगांठ के परिणामस्वरूप अक्सर पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग होती है और असहमति की आवाज़ों का दमन होता है। धमकियाँ और हमले: पत्रकारों को शारीरिक हिंसा, उत्पीड़न और धमकी का सामना करना पड़ता है, खासकर जब वे भ्रष्टाचार, मानवाधिकार उल्लंघन या सांप्रदायिक तनाव जैसे संवेदनशील मुद्दों को कवर […]

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विज्ञान और धर्म संसार के दो शासक…

समाज में धर्म और विज्ञान की भूमिका प्रभावशाली है। विज्ञान और धर्म के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर यह है कि पहले का संबंध प्राकृतिक दुनिया से है जबकि दूसरे का संबंध प्राकृतिक और अलौकिक दोनों संस्थाओं से है। विज्ञान तथ्यों की उचित प्रमाण एवं प्रमाण सहित व्याख्या करता है। यह हमेशा सवालों के जवाब देने […]

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मानवता को शर्मसार करती मानव तस्करी…

मानवता को शर्मसार कर देने वाली मानव तस्करी सभ्य समाज के माथे पर बदनुमा दाग है, मानव तस्करी आधुनिक दुनिया में होने वाले सबसे विनाशकारी मानवाधिकार उल्लंघनों में से एक है। हर 30 सेकंड में एक व्यक्ति या बच्चे की तस्करी की जाती है, 3.8 मिलियन वयस्कों की तस्करी की जाती है और उन्हें यौन […]

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शुरू होनी चाहिए पर्यावरणीय मुद्दों को मुख्यधारा में लाने की चुनावी प्रथाएं

राजनीतिक दलों को जलवायु परिवर्तन पर सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने और ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए स्पष्ट रूप से कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए। राजनीतिक दलों को उन कदमों के बारे में बताना चाहिए जो वे भारत पर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को कम करने के लिए उठाएंगे। यदि भारत वैश्विक व्यवस्था […]

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नीरस होती होली की मस्ती, केवल औपचारिकता निभाने में सिमटा यह त्योहार…

पहले की होली और आज की होली में अंतर आ गया है, कुछ साल पहले होली के पर्व को लेकर लोगों को उमंग रहता था, आपस में प्रेम था। किसी के भी प्रति द्वेष भाव नहीं था। आपस में मिल कर लोग प्रेम से होली खेलते थे। मनोरंजन के अन्य साधानों के चलते लोगों की […]

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रिश्तों में पड़ गई द्वेष भाव की भंग, फीके पड़ते होली के रंग…

पहले की होली और आज की होली में अंतर आ गया है, कुछ साल पहले होली के पर्व को लेकर लोगों को उमंग रहता था, आपस में प्रेम था। किसी के भी प्रति द्वेष भाव नहीं था। आपस में मिल कर लोग प्रेम से होली खेलते थे। मनोरंजन के अन्य साधानों के चलते लोगों की […]

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सावधान! खुलने वाले है घोषणा पत्र यानी वादों के पिटारे..

भारत में चुनावी वर्ष नज़दीक आते ही राजनीतिक पार्टियाँ सत्ता में आने के लिये लोक-लुभावनी घोषणाएँ करने लगती हैं, जैसे मुफ्त में बिजली-पानी, लैपटॉप, साइकिल आदि देने के वायदे करना आदि। यह प्रचलन लोकतंत्र में चुनाव लड़ने के लिये सभी को समान अवसर मिलने के मूल्य के उल्लंघन को तो दर्शाता ही है, साथ ही […]

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महिला दिवस: समय की रेत पर छाप छोड़ती युवा लेखिका प्रियंका सौरभ

युवा महिला लेखिका जो हिंदी और अंग्रेजी के 10,000 से अधिक समाचार पत्रों के लिए दैनिक संपादकीय लिख रही हैं जो विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित होते हैं। प्रमाणित सबूत गूगल के रूप में प्रियंका सौरभ और आपको सब कुछ मिल जायेगा। दुनिया के सबसे बड़े शिक्षा मंच unacademy और व्यक्तिगत यूट्यूब चैनल पर लड़कियों को […]

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