एंटीबायोटिक प्रतिरोध 21वीं सदी का एक नया महामारी खतरा

एंटीबायोटिक प्रतिरोध के प्रसार को रोकने और नियंत्रित करने के लिए, व्यक्तियों को केवल प्रमाणित स्वास्थ्य पेशेवर द्वारा निर्धारित किए जाने पर ही एंटीबायोटिक्स का उपयोग करना चाहिए। यदि आपका स्वास्थ्य कार्यकर्ता कहता है कि आपको एंटीबायोटिक्स की आवश्यकता नहीं है, तो कभी भी एंटीबायोटिक्स की मांग न करें। एंटीबायोटिक्स का उपयोग करते समय हमेशा […]

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जलवायु परिवर्तन: दोस्ती चाहती हैं आक्रामक प्रजातियाँ

आक्रामक प्रजातियों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से किए गए कई प्रयास अप्रभावी और अत्यधिक समय की मांग करने वाले साबित हुए हैं। ये प्रजातियाँ अक्सर अपने पारिस्थितिकी तंत्र में गहराई से समा जाती हैं, जिससे उनका उन्मूलन मुश्किल हो जाता है। उदाहरण के लिए, आक्रामक पौधों की प्रजातियों को खत्म करने के लिए इस्तेमाल […]

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‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ कराने से क्या बदलाव आएगा?

एक राष्ट्र एक चुनाव के संभावित लाभों के बावजूद, आलोचकों ने लोकतांत्रिक भावना, स्थानीय चिंताओं पर राष्ट्रीय मुद्दों के प्रभुत्व तथा संवैधानिक संशोधनों की आवश्यकता के बारे में चिंता व्यक्त की है। एक राष्ट्र एक चुनाव भारत में विभिन्न राज्यों की अद्वितीय राजनीतिक गतिशीलता और क्षेत्रीय हितों को कमजोर कर सकता है, क्योंकि यह एक […]

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आखिर क्यों चुप्पी साध गई पक्षियों की चहचाहट?

(सूना-सूना लग रहा, बिन पेड़ों के गाँव। पंछी उड़े प्रदेश को, बांधे अपने पाँव।। पक्षियों को पर्यावरण की स्थिति के सबसे महत्वपूर्ण संकेतकों में से एक माना जाता है। क्योंकि वे आवास परिवर्तन के प्रति संवेदनशील हैं और पक्षी पारिस्थितिकीविद् के पसंदीदा उपकरण हैं। पक्षियों की आबादी में परिवर्तन अक्सर पर्यावरणीय समस्याओं का पहला संकेत […]

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हरियाणा के डॉ. सत्यवान सौरभ के दोहों का देश के सर्वश्रेष्ठ 64 दोहाकारों में चयन

दैनिक संपादकीय लेखकों में से एक है, डॉ. सत्यवान सौरभ। हाल ही में इनका एक दोहा संग्रह ‘तितली है खामोश’ भी आया है जो देशभर में काफी चर्चित रहा है। राष्ट्रीय दोहा संग्रह ‘प्रतिरोध के दोहे’ के प्रकाशन पर देश भर के साहित्यकारों ने दी शुभकामनाएं। इसमें देश के 64 दोहाकारों के दोहे संकलित हैं। […]

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पर्यावरण एवं स्वास्थ्य को निगलते रासायनिक उर्वरक

रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभावों को हल करने में लगेंगे कई साल, वैकल्पिक और टिकाऊ तरीकों पर विचार करना बुद्धिमानी। किसानों को उर्वरकों के उपयोग की सर्वोत्तम प्रक्रियाओं के बारे में शिक्षित करें, जिसमें सही मात्रा, समय और उपयोग की तकनीकें शामिल हैं। जो किसान अधिक ज्ञान प्राप्त करेंगे वे निर्णय लेने में बेहतर ढंग से […]

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क्या नीट 2024 है घोटाला, कैसे निकले एक ही सेंटर से 8 टॉपर?

(100 करोड़ लोगों का चुनाव आसानी से हो जाता है, पर 20 लाख बच्चों का पेपर सही से नही हो पाता?) (एक ही केंद्र के 6 छात्रों को 720/720 अंक कैसे मिले? परिणाम 14 जून के बजाय 4 जून (चुनाव परिणाम दिवस) को क्यों घोषित किए गए? कुछ गड़बड़ है, लाखों नीट उम्मीदवार इसका उत्तर […]

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एनडीए की आसानी से नहीं बनेगी सरकार: यह जनादेश किसकी जीत, किसकी हार? क्या 10 साल बाद लौट रहा गठबंधन सरकार का दौर..

यह भाजपा की स्पष्ट जीत नहीं है। यह एनडीए की जीत ज्यादा है। आंकड़ों की दोपहर तक की स्थिति को देखें तो यह माना जा सकता है कि पूरे पांच साल भाजपा गठबंधन के सहयोगियों खासकर जदयू और तेदेपा के भरोसे रहेगी। इन दोनों दलों के बारे में यह कहना मुश्किल है कि ये भाजपा […]

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प्राइवेट स्कूलों का मकड़जाल: स्कूल बने कॉपी-किताब की दुकान, अभिभावक परेशान। निजी स्कूलों की मनमानी पर कैसे लगेगी लगाम?

देश भर में के प्राइवेट स्कूलों में कॉपी किताबों के नाम पर बड़ा खेल चल रहा है। बाजार से अधिक दामों में लूट मचा रखी है। प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक प्राइवेट स्कूलों की मनमानी से परेशान है। बच्चे अगर पुस्तकें स्कूल की जगह बाहर से खरीद लें तो उनके बच्चों के […]

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क्यों संदिग्ध है अकादमी पुरस्कारों की वार्षिक गतिविधियां ?

आखिर क्यों सही से काम नहीं कर पा रही साहित्य अकादमियां? पिछले दशकों में पुरस्कारों की बंदर बांट कथित साहित्यकारों, कलाकारों और अपने लोगों को प्रस्तुत करने के लिए विशेष साहित्यकार, पुरोधा कलाकार, साहित्य ऋषि जैसी कई श्रेणियां बनी है। जिसके तहत विभिन्न अकादमियां एक दूसरे के अध्यक्षों को पुरस्कृत कर रही है और निर्णायकों […]

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