गांधी जयन्ती: गांधी पर लिखा वह नाटक जिसे छापने को कोई तैयार ही नही था
“हिंदुस्तान एक था और एक बना रहे. इससे ज़्यादा स्वाभाविक कोई और बात मैं नहीं मानता. जिसे मैं निराशाजनक मानता हूँ, वह है पागलपन. हवा में धुंधुआती नफ़रत भर गई है. मैं दक्षिण अफ्ऱीका से आया, तब से अब तक इतना अंधा और बेहूदा भावावेश कभी नहीं पसरा था.” महात्मा गाँधी के ये शब्द आज […]
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