प्रकृति की मौन चेतावनी: जहाँ विज्ञान चूक जाता है, वहाँ टिटहरी पहले चेताती है

टिटहरी कोई साधारण पक्षी नहीं, बल्कि प्रकृति का मौन प्रहरी है। किसान उसके अंडों की संख्या, स्थान और समय देखकर बारिश, बाढ़ या अकाल का अनुमान लगाते रहे हैं। विज्ञान भी मानता है कि ऐसे पक्षी “इकोसिस्टम इंडिकेटर” होते हैं, जो पर्यावरणीय बदलावों का पहले से संकेत दे देते हैं। आज शहरीकरण और रसायनों के […]

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पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण: सांस्कृतिक संरक्षण से राष्ट्रीय पुनर्जागरण तक

भारत की प्राचीन पांडुलिपियाँ केवल कागज़ पर लिखे शब्द नहीं, बल्कि हमारी सभ्यता की आत्मा हैं। इनमें विज्ञान, चिकित्सा, दर्शन और कला का अनमोल खजाना है। उपेक्षा और उपनिवेशकाल की लूट ने इन्हें खतरे में डाल दिया। प्रधानमंत्री मोदी का आह्वान कि पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण “बौद्धिक चोरी” को रोकेगा, समयानुकूल है। डिजिटलीकरण से संरक्षण, शोध […]

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न्यायालय की फटकार और डॉक्टरों की लिखावट

“जहाँ पर्ची के हर अक्षर स्पष्ट होंगे, वहीं मरीज का जीवन और अधिकार सुरक्षित रहेंगे।” “पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का हालिया आदेश एक मील का पत्थर है। अदालत ने डॉक्टरों को साफ और स्पष्ट पर्ची लिखने का निर्देश देकर सीधे मरीज के जीवन और अनुच्छेद 21 से इसे जोड़ा है। यह आदेश केवल लिखावट की औपचारिकता नहीं, […]

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गिरते पुल, ढहती ज़िम्मेदारियाँ: बुनियादी ढांचे की सड़न और सुधार की ज़रूरत

वडोदरा में पुल गिरना कोई अकेली घटना नहीं, बल्कि भारत के जर्जर होते बुनियादी ढांचे की डरावनी सच्चाई है। पुरानी संरचनाएं, घटिया सामग्री, भ्रष्टाचार और निरीक्षण की अनुपस्थिति — यह सब मौत को दावत दे रहा है। राजनीतिक घोषणाएं तो बहुत होती हैं, लेकिन टिकाऊ निर्माण और जवाबदेही की योजनाएँ नदारद हैं। अब वक़्त है […]

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धर्मांतरण का धंधा: विदेशी फंडिंग और सामाजिक विघटन का षड्यंत्र

उत्तर प्रदेश में एटीएस ने एक बड़े धर्मांतरण रैकेट का खुलासा किया है, जिसमें विदेशी फंडिंग के जरिए करीब 100 करोड़ रुपये 40 खातों में भेजे गए। मुख्य आरोपी ‘छांगरू बाबा’ उर्फ जमशेदुद्दीन के नेतृत्व में यह गिरोह ऊंची जाति की लड़कियों के लिए 15-16 लाख रुपये की दर से धर्मांतरण कराता था। यह मामला […]

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ज़ीरो डोज़ बच्चे: टीकाकरण में छूटे हुए भारत की तस्वीर

भारत में 2023 में 1.44 मिलियन बच्चे ‘ज़ीरो डोज़’ श्रेणी में थे, जिनमें अधिकांश गरीब, अशिक्षित, जनजातीय, मुस्लिम और प्रवासी समुदायों से आते हैं। भूगोलिक अवरोध, सामाजिक हिचकिचाहट, शहरी झुग्गियों में अव्यवस्थित शासन और निगरानी की कमी प्रमुख चुनौतियाँ हैं। मिशन इंद्रधनुष जैसी योजनाएँ सीमित प्रभावी रही हैं। समाधान के लिए समुदाय-आधारित सहभागिता, तकनीक आधारित […]

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किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता सोशल मीडिया

हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने कहा है कि सरकार 16 साल से कम उम्र के लोगों के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून बनाएगी। वास्तव में पूरी दुनिया में किशोरों की सुरक्षा के लिए सोशल मीडिया पर आयु प्रतिबंध लगाने के संभावित लाभ और नुकसान, साथ ही संभावित अनपेक्षित परिणामों […]

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सार्क की चुनौतियों का समाधान कैसे कर सकता है भारत ?

भारत अलग-अलग सार्क सदस्यों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने, विश्वास और सहयोग को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित कर सकता है जिससे अधिक बहुपक्षीय सफलता मिल सकती है। कनेक्टिविटी और व्यापार पर बांग्लादेश के साथ भारत के हालिया प्रयासों ने सार्क की सीमित प्रगति के बावजूद द्विपक्षीय सहयोग में सुधार किया है। भारत […]

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हरियाणा-दिवस विशेष: सरकारों की उपेक्षा के चलते पिछड़ती गई हरियाणवी भाषा

वर्तमान अकादमी उपाध्यक्ष व निदेशक की पहल सराहनीय : डॉ. ‘मानव’ हरियाणा-दिवस के सुअवसर पर दिए गए अपने विशेष साक्षात्कार में डॉ. ‘मानव’ ने कहा कि पंजाब से अलग हरियाणा राज्य का गठन ही भाषा के आधार पर हुआ था, लेकिन सरकारों की उपेक्षा के चलते हरियाणवी पिछड़ती चली गई। हरियाणा के हिन्दी और हरियाणवी […]

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लेखनी को पलने और बढ़ने का माहौल देता उत्तराखंड का ‘लेखक गांव’

‘लेखक गांव’ लेखकों, कवियों, साहित्यकारों और अन्य रचनाकर्मियों द्वारा महसूस की जा रही व्यावहारिक कठिनाइयों का निवारण करने की ओर एक अभिनव पहल है। उत्तराखंड में यह पहला लेखक गाँव भविष्य का पर्यटक गंतव्य बनकर उभरेगा। यह मंच उन लेखकों के लिए एक सुनहरा अवसर है जो अपने शब्दों के माध्यम से समाज को नयी […]

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