श्मशान वैराग्य…! तो जीवन की यात्रा को बोझिल बनाने का क्या औचित्य?

आमतौर पर यह शब्द जितना साधारण दिखता है, उतना ही गहरा है। प्रायः इसकी परिभाषा उस क्षणिक अनुभूति तक सीमित कर दी जाती है, जब हम किसी अंतिम संस्कार में बैठकर मृत्यु का दृश्य देखते हैं। वहां हमें क्षणिक बोध होता है कि जीवन वास्तव में नश्वर है, धन-दौलत, अहंकार, पद-प्रतिष्ठा सब यहीं रह जाने […]

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