मुहँ में राम, दिमाग में नाथूराम…राम-राम राम..!
दिल मे है नफरत ऐसी ही है इनकी फितरत दंगो से प्यार है हिन्दू -मुस्लिम राजनीति ही इनका हथियार है बाहर दिखावा अहिंसा के पुजारी गाँधी जी को आत्मसात का, अंदरूनी समर्थन कतली नाथूराम के जज्बात का..? वो राम को “नहीं” लाये हैं…मगर जज्बात भुनाएंगे…ऐसे ही वो जनता को हरदम बरगलायेंगे. वाराणसी। विविधताओं से भरे […]
Continue Reading