विलुप्त होती मेंढक की प्रजातियां मानव जाति को क्या संकेत दे रही हैं?

पद्मश्री प्राप्त रतनलाल जोशी कितना सटीक कहकर गए हैं कि मुंशी प्रेमचंद के पात्रों में जो मुकाम होरी का है, जीवजगत में वही स्थान मेंढक का है- शोषण तंत्र की सबसे अंतिम और निचली कड़ी, निरीह, प्रतिशोध और प्रतिरोध में असमर्थ, जिस तरह ज़मींदार, पटवारी, पतरौल, पुरोहित, सभी हर क्षण होरी को लूटने के लिए […]

Continue Reading