प्रवचन: बाह्य ही नहीं आंतरिक प्रकाश की जरूरतः जैन मुनि डा.मणिभद्र महाराज

आगरा ।राष्ट्र संत नेपाल केसरी डा.मणिभद्र महाराज ने कहा कि दीपावली पर हम बाहर तो प्रकाश करके खुशियां मनाते हैं, लेकिन आंतरिक प्रकाश की जरूरत है, तभी हमारी जीवन सफल होगा और प्रकाशमान होगा। न्यू राजामंडी के महावीर भवन में दीपावली व भगवान महावीर के निर्वाणोत्सव का आयोजन किया गया। इसमें प्रवचन करते हुए जैन […]

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सुख एवम दुख पूर्वजन्म के कर्मों का परिणाम है: जैन मुनि डॉ. मणिभद्र

आगरा, (विवेक कुमार जैन)। जिस दिन हम यह स्वीकार कर लेंगे कि हमें जीवन में जो दुख सुख मिल रहा है वह मेरे स्वयं के कर्मों का परिणाम है और हमें इसे भोगना पड़ेगा।दशांग सूत्र के पहले अध्याय में कहा गया है की हमें जो सुख मिल रहा है , आनंद की अनुभूति हो रही […]

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सबका साध्य एक: भीतर का बदलाव, स्व की पहचान, शाश्वत मूल्यों का स्वीकरण एवं पवित्रता की साधना

सुविधा और सुख का संबंध नहीं है। पदार्थ की प्रचुरता है, किन्तु सुख नहीं है। पदार्थ की अल्पता है, किन्तु दुख नहीं है। सुखी वह है, जो संतुलित है। दुखी वह है, जो असंतुलित है। संतुलन और असंतुलन से जुड़ा है सुख-दुख का प्रश्न, अभाव और अतिभाव का संवेदन। संतुलित वह है जो आत्म-रमण करता […]

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