वामपंथी सोच और भारतीय संस्कृति: समृद्धि या विकृति?

भारत, एक ऐसा देश जहां संस्कृति, धर्म, कला, और साहित्य की जड़ें सदियों से फैली हुई हैं, आज एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। यह देश विविधताओं में एकता का प्रतीक है, और इसकी सांस्कृतिक धरोहर विश्वभर में प्रशंसा पाती है। लेकिन पिछले कुछ दशकों में, वामपंथी विचारधारा ने भारतीय समाज के कई पहलुओं पर […]

Continue Reading

हरियाणा की ड्रीम पॉलिसी: शिक्षक तबादलों के अधूरे सपनों की हकीकत?

सरकार ने घोषणा की थी कि इस वर्ष तबादले अप्रैल में होंगे, किंतु सितंबर तक भी प्रक्रिया शुरू नहीं हुई। यह देरी न केवल शिक्षकों के साथ वादाख़िलाफ़ी है, बल्कि छात्रों की पढ़ाई और विद्यालयों के संचालन पर भी सीधा आघात है। हरियाणा सरकार की “ड्रीम पॉलिसी” का उद्देश्य था शिक्षक तबादलों में पारदर्शिता और […]

Continue Reading

हिंदी दिवस का संदेश: भाषा से जुड़ता है समाज और संस्कृति, मातृभाषा में शिक्षा ही वास्तविक राष्ट्रनिर्माण का मार्ग

मातृभाषा केवल संवाद का साधन नहीं, बल्कि हमारी पहचान और संस्कृति से जुड़ाव का माध्यम है। नई शिक्षा नीति (2020) ने कक्षा 5 तक मातृभाषा में शिक्षा पर बल दिया है, जिससे बच्चों की समझ, आत्मविश्वास और भागीदारी बढ़ेगी। अंग्रेज़ी का महत्व अपनी जगह है, परंतु प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में ही सबसे प्रभावी है। चुनौतियों […]

Continue Reading

शहरीकरण और सामाजिक संकट: भीड़ में बढ़ता अकेलापन

सबसे बड़ी चुनौती है सामुदायिक बंधनों का क्षरण। गाँवों में जहाँ पड़ोसियों और रिश्तेदारों के बीच गहरे संबंध होते हैं, वहीं शहरों में रहने वाले लोग अक्सर अनजानेपन और दूरी का अनुभव करते हैं। गेटेड सोसाइटी और उच्च-आय वर्गीय कॉलोनियों ने सामाजिक जीवन को खंडित कर दिया है। लोग अपने छोटे-से घेरे में सिमट जाते […]

Continue Reading

भारत की चिप क्रांति : सपनों से साकार होती हकीकत

उम्मीदों की चिप ने दिए आत्मगौरव और नवाचार को पंख भारत आज उस ऐतिहासिक मोड़ पर खड़ा है जहाँ तकनीकी आत्मनिर्भरता केवल आर्थिक प्रगति का साधन नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गर्व और वैश्विक नेतृत्व की दिशा भी बन गई है। दशकों तक चिप और सेमीकंडक्टर क्षेत्र में केवल उपभोक्ता के रूप में पहचाने जाने वाला भारत […]

Continue Reading

जीएसटी पर सियासत या राहत: ‘एक देश, एक टैक्स’ और बदलती नीतियों का सच…

जीएसटी दरों में कटौती जनता के लिए राहत का संकेत है, लेकिन बार-बार बदलते तर्क सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े करते हैं। जीएसटी लागू होने के बाद सरकार ने नौ साल तक ऊँची दरों को ज़रूरी बताते हुए उनके फायदे गिनाए। अब दरें घटाने पर वही तर्क उलटे रूप में दिए जा रहे हैं। […]

Continue Reading

राष्ट्रीय साहित्यान्चल सम्मान हेतु डॉ. प्रियंका सौरभ और डॉ. सत्यवान सौरभ का चयन

“देश-विदेश में सक्रिय लेखन, 27 पुस्तकों के रचयिता साहित्यकार दंपत्ति का साहित्यान्चल सम्मान हेतु चयन” भीलवाड़ा, राजस्थान – औद्योगिक नगरी के साथ-साथ साहित्य साधना की धरा बन चुके भीलवाड़ा से एक महत्वपूर्ण समाचार सामने आया है। साहित्यांचल संस्था द्वारा घोषित परिणामों में सिवानी मंडी के गाँव बड़वा के साहित्यकार दंपत्ति डॉ. प्रियंका सौरभ और डॉ. […]

Continue Reading

जयंती विशेष: संत दुर्बलनाथ जी महाराज…सत्य, साधना और समरसता के प्रकाशस्तंभ

संत दुर्बलनाथ जी महाराज ने अपने जीवन से यह सिद्ध किया कि सत्य का पालन, साधना का अभ्यास और समाज में समरसता का प्रसार ही वास्तविक धर्म है। उन्होंने आडंबरों और भेदभाव का विरोध किया तथा शिक्षा, नैतिकता और सेवा को मानव जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य बताया। आज जब समाज भौतिकता और विभाजन की ओर […]

Continue Reading

न्यायालय की फटकार और डॉक्टरों की लिखावट

“जहाँ पर्ची के हर अक्षर स्पष्ट होंगे, वहीं मरीज का जीवन और अधिकार सुरक्षित रहेंगे।” “पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का हालिया आदेश एक मील का पत्थर है। अदालत ने डॉक्टरों को साफ और स्पष्ट पर्ची लिखने का निर्देश देकर सीधे मरीज के जीवन और अनुच्छेद 21 से इसे जोड़ा है। यह आदेश केवल लिखावट की औपचारिकता नहीं, […]

Continue Reading

अस्पताल से जिन्दा कैसे लौटे? बीमारी से बड़ी बन चुकी है इलाज की लूट

आज अस्पताल जीवनदान से ज़्यादा भय और लूट का केंद्र बन गए हैं। नॉर्मल केस को वेंटिलेटर तक पहुँचाना, अनावश्यक टेस्ट कराना और दवा कंपनियों से कमीशन लेना आम हो गया है। मरीज और परिजन मानसिक, आर्थिक और शारीरिक कष्ट झेलते हैं। डॉक्टरों की छवि भगवान से कसाई जैसी होती जा रही है। समाधान यही […]

Continue Reading