विदेश की चाह में बर्बादी का रास्ता: कैसे ‘डंकी रूट’ निगल रहा है भारतीय युवाओं का भविष्य

विदेश में सुनहरे भविष्य के लालच में, भारतीय युवा अवैध रास्तों के शिकार बन रहे हैं। एजेंटों का यह नेटवर्क न केवल कानून तोड़ रहा है, बल्कि परिवारों की उम्मीदों और देश के भविष्य को भी चुरा रहा है। ‘डंकी रूट’ एक अवैध प्रवासन मार्ग है, जिसके ज़रिए भारतीय युवा बिना वीज़ा या वैध दस्तावेजों […]

Continue Reading

लेखक गाँव: शब्दों की साधना और सृजन का हिमालय

3 से 5 नवम्बर 2025 को थानो (देहरादून) में होगा “स्पर्श हिमालय महोत्सव” — जहाँ साहित्य, संस्कृति और प्रकृति का संगम रचेगा नई सृजनगाथा उत्तराखंड की वादियों में बसा थानो गाँव आज साहित्य और संस्कृति की नई पहचान बन चुका है। यह वही भूमि है जहाँ शब्दों की साधना और सृजन की ऊर्जा एक साथ […]

Continue Reading

खामोशी का असर: परिवार और समाज पर संवादहीनता का बोझ

आज के व्यस्त और डिजिटल जीवन में संवादहीनता परिवार और समाज की बड़ी चुनौती बन गई है। बातचीत की कमी भावनात्मक दूरी, गलतफहमियाँ और मानसिक तनाव बढ़ाती है। परिवार में बच्चे और बड़े एक-दूसरे की भावनाओं को साझा नहीं कर पाते, जबकि समाज में सहयोग और सामूहिक प्रयास कमजोर पड़ते हैं। इसका समाधान नियमित संवाद, […]

Continue Reading

सड़क पर कफ़न बुनती सफ़ेद लाइट: सड़क हादसों की अनकही कहानी…

रात में तेज़ सफ़ेद हेडलाइट्स सिर्फ़ आँखों को नहीं, बल्कि जीवन को भी चौंधिया देती हैं। हर साल हजारों लोग इसके कारण हादसों में मरते हैं। यह केवल व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे परिवारों की टूटी ज़िंदगी है। समाधान आसान है – पीली हेडलाइट लगाएँ, तेज़ सफ़ेद लाइट से बचें, सरकार नियम बनाए और आम […]

Continue Reading

समाज सेवा विशेष: कुर्सी नहीं, भरोसे की राजनीति… रमेश वर्मा का सफ़र

भिवानी के गाँव बड़वा में जन्में रमेश वर्मा की राजनीतिक यात्रा एक ऐसे जननेता की कहानी है जिसने सत्ता नहीं, सेवा को साधन बनाया। चार दशक से अधिक समय में उन्होंने पंचायत से लेकर विधानसभा तक अपनी पहचान ईमानदारी, पारदर्शिता और जनसेवा से बनाई। गांवों में विकास, महिलाओं का सशक्तिकरण और युवाओं को दिशा देने […]

Continue Reading

गोवर्धन पूजा: भक्ति सिर्फ़ तस्वीर नहीं, धरती और जीवन के प्रति कृतज्ञता का संदेश

गोवर्धन पूजा केवल भगवान कृष्ण का पर्व नहीं, बल्कि प्रकृति, गाय और धरती के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है। यह हमें सिखाता है कि सच्ची भक्ति दिखावे में नहीं, संवेदना में है। आज जब पूजा इंस्टाग्राम की तस्वीर बन चुकी है और गोबर की जगह प्लास्टिक ने ले ली है, तब ज़रूरत है श्रद्धा के […]

Continue Reading

अब सुरक्षित रहेगा सोशल मीडिया: इंस्टाग्राम ने 18 साल से कम उम्र के यूज़र्स के लिए लगाई आपत्तिजनक कंटेंट पर रोक

इंस्टाग्राम ने 18 वर्ष से कम उम्र के किशोरों को आपत्तिजनक कंटेंट से दूर रखने के लिए PG-13 आधारित फ़िल्टर प्रणाली लागू की है। इससे नाबालिग यूज़र्स हिंसक, यौन या मानसिक रूप से हानिकारक सामग्री नहीं देख पाएंगे। माता-पिता अब “सीमित कंटेंट सेटिंग्स” से बच्चों की गतिविधियों पर नज़र रख सकेंगे। यह कदम सोशल मीडिया […]

Continue Reading

बढ़ती छात्र आत्महत्याएँ: कानून हैं, लेकिन संवेदना कहाँ है?

भारत में बढ़ती छात्र आत्महत्याएँ एक गहरी सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य संकट का संकेत हैं। मानसिक स्वास्थ्य कानून (2017) और आत्महत्या रोकथाम नीति (2021) ने क़ानूनी ढाँचा तो दिया, पर उसका असर सीमित रहा। जागरूकता की कमी, काउंसलिंग ढाँचे का अभाव और अभिभावकों की अपेक्षाएँ छात्रों को अवसाद की ओर धकेल रही हैं। अब ज़रूरत […]

Continue Reading

हरियाणा में तबादलों का संकट – शिक्षकों की उम्मीदों पर विराम

“अप्रैल से इंतज़ार, अब तक अधर में तबादले; मॉडल स्कूल का परिणाम टला, नई नीति भी अधूरी” हरियाणा में शिक्षकों के तबादले अप्रैल में होने थे, लेकिन आज तक प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई। सरकार ने घोषणा की थी कि सबसे पहले मॉडल स्कूल का परिणाम आएगा और उसी के आधार पर तबादलों की दिशा […]

Continue Reading

पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण: सांस्कृतिक संरक्षण से राष्ट्रीय पुनर्जागरण तक

भारत की प्राचीन पांडुलिपियाँ केवल कागज़ पर लिखे शब्द नहीं, बल्कि हमारी सभ्यता की आत्मा हैं। इनमें विज्ञान, चिकित्सा, दर्शन और कला का अनमोल खजाना है। उपेक्षा और उपनिवेशकाल की लूट ने इन्हें खतरे में डाल दिया। प्रधानमंत्री मोदी का आह्वान कि पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण “बौद्धिक चोरी” को रोकेगा, समयानुकूल है। डिजिटलीकरण से संरक्षण, शोध […]

Continue Reading