बढ़ती छात्र आत्महत्याएँ: कानून हैं, लेकिन संवेदना कहाँ है?
भारत में बढ़ती छात्र आत्महत्याएँ एक गहरी सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य संकट का संकेत हैं। मानसिक स्वास्थ्य कानून (2017) और आत्महत्या रोकथाम नीति (2021) ने क़ानूनी ढाँचा तो दिया, पर उसका असर सीमित रहा। जागरूकता की कमी, काउंसलिंग ढाँचे का अभाव और अभिभावकों की अपेक्षाएँ छात्रों को अवसाद की ओर धकेल रही हैं। अब ज़रूरत […]
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