हरियाणा में तबादलों का संकट – शिक्षकों की उम्मीदों पर विराम

“अप्रैल से इंतज़ार, अब तक अधर में तबादले; मॉडल स्कूल का परिणाम टला, नई नीति भी अधूरी” हरियाणा में शिक्षकों के तबादले अप्रैल में होने थे, लेकिन आज तक प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई। सरकार ने घोषणा की थी कि सबसे पहले मॉडल स्कूल का परिणाम आएगा और उसी के आधार पर तबादलों की दिशा […]

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हिंदी दिवस का संदेश: भाषा से जुड़ता है समाज और संस्कृति, मातृभाषा में शिक्षा ही वास्तविक राष्ट्रनिर्माण का मार्ग

मातृभाषा केवल संवाद का साधन नहीं, बल्कि हमारी पहचान और संस्कृति से जुड़ाव का माध्यम है। नई शिक्षा नीति (2020) ने कक्षा 5 तक मातृभाषा में शिक्षा पर बल दिया है, जिससे बच्चों की समझ, आत्मविश्वास और भागीदारी बढ़ेगी। अंग्रेज़ी का महत्व अपनी जगह है, परंतु प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में ही सबसे प्रभावी है। चुनौतियों […]

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भारत की चिप क्रांति : सपनों से साकार होती हकीकत

उम्मीदों की चिप ने दिए आत्मगौरव और नवाचार को पंख भारत आज उस ऐतिहासिक मोड़ पर खड़ा है जहाँ तकनीकी आत्मनिर्भरता केवल आर्थिक प्रगति का साधन नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गर्व और वैश्विक नेतृत्व की दिशा भी बन गई है। दशकों तक चिप और सेमीकंडक्टर क्षेत्र में केवल उपभोक्ता के रूप में पहचाने जाने वाला भारत […]

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मनीषा हत्याकांड: हरियाणा पुलिस की लापरवाही और समाज की बेपरवाही ने छीनी एक और बेटी की जान

“मनीषा की हत्या ने हरियाणा की पुलिस और शासन व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर दिया है। प्राथमिकी दर्ज करने में देरी, चित्रण देर से लेना और परिजनों की गुहार को नज़रअंदाज़ करना – ये सब पुलिस की लापरवाही के प्रमाण हैं। परिवार का शव न लेने का फैसला एक प्रतीक है कि अब जनता […]

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टैबलेट या सरकारी खिलौने? तकनीकी शिक्षा का बड़ा धोखा

हरियाणा सरकार ने कोविड काल में 700 करोड़ रुपये खर्च कर 5 लाख छात्रों को टैबलेट बांटे थे, जिनका उद्देश्य डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देना था। परंतु तीन साल बाद इन टैबलेट्स में न तो सिम कार्ड हैं, न इंटरनेट की सुविधा, और न ही इनसे पढ़ाई हो रही है। इनमें 2025-26 तक का सिलेबस […]

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रक्षाबंधन: क्या वास्तव में निभा रहे हैं भाई-बहन प्रेम और रक्षा का वादा?

रक्षाबंधन केवल राखी बांधने और गिफ्ट देने का त्योहार नहीं, बल्कि भाई-बहन के स्नेह, विश्वास और परस्पर सहयोग का प्रतीक है। आज यह पर्व सोशल मीडिया दिखावे और औपचारिकताओं में सिमटता जा रहा है। भाई-बहन सालभर दूर रहते हैं, पर एक दिन फोटो खिंचाकर ‘रिश्ता निभाने’ का प्रमाण दे देते हैं। असली रक्षा तब है […]

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100 किलोमीटर दूर की परीक्षा: क्या अभ्यर्थी की ज़िंदगी इतनी सस्ती है?

“चुनाव में स्टाफ जाता है, परीक्षा में छात्र क्यों? रोज़गार की दौड़ में रास्ते ही कठिन क्यों?” सड़क हादसों में गई युवाओं की जान, कौन लेगा जिम्मेदारी? नौकरी की तलाश में जिंदगी हार रहे बेरोजगार। परीक्षार्थियों का विस्थापन: CET के नाम पर हरियाणा में प्रशासनिक असंवेदनशीलता और मौतें हरियाणा में आयोजित CET परीक्षा ने 15 […]

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चाइनीज मांझा: कार्यवाई का शोर और खुलेआम बिकती मौत की डोर

चाइनीज मांझा, जो नायलॉन और धातु से बना अत्यंत तीव्र धार वाला धागा है, आज पतंगबाज़ी से कहीं अधिक जानलेवा साबित हो रहा है। यह मांझा इंसानों और पक्षियों दोनों के लिए खतरनाक है, जिससे हर वर्ष कई दुर्घटनाएं होती हैं। गर्दन और चेहरे पर गहरे कट, पक्षियों की मृत्यु, और सड़क हादसों की वजह […]

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सावन मनभावन: भीगते मौसम में साहित्य और संवेदना की हरियाली

सावन केवल एक ऋतु नहीं, बल्कि भारतीय जीवन, साहित्य और संस्कृति में एक गहरी आत्मिक अनुभूति है। यह मौसम न केवल धरती को हरा करता है, बल्कि मन को भी तर करता है। लोकगीतों, झूले, तीज और कविता के माध्यम से सावन स्त्रियों की अभिव्यक्ति, प्रेम की प्रतीक्षा और विरह की पीड़ा का स्वर बन […]

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कोचिंग का क्रेडिट, स्कूल की गुमनामी: शिक्षकों के साथ यह अन्याय कब तक?

आज कोचिंग संस्थानों को छात्रों की सफलता का सारा श्रेय मिलता है, जबकि वे शिक्षक गुमनाम रह जाते हैं जिन्होंने वर्षों तक नींव रखी। यह संपादकीय उसी विस्मृति की पीड़ा को उजागर करता है। स्कूल और कॉलेजों में पढ़ाने वाले शिक्षक सिर्फ परीक्षा नहीं, सोच, भाषा और संस्कार गढ़ते हैं। कोचिंग एक पड़ाव है, पर […]

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