“कॉलर ट्यून की विदाई: जनता की सुनवाई या थकान की जीत?”

6 दिन पहले प्रकाशित हुआ मेरा लेख — “कॉलर ट्यून या कलेजे पर हथौड़ा: हर बार अमिताभ क्यों? जब चेतावनी बन गई चिढ़” अमिताभ बच्चन की कोविड कॉलर ट्यून ने देश को जागरूक किया, पर समय के साथ वह झुंझलाहट में बदल गई। जनभावनाओं की अनदेखी नीतियों के विरुद्ध यह लेख देशभर में पढ़ा गया […]

Continue Reading

कॉलर ट्यून या कलेजे पर हथौड़ा: हर बार अमिताभ क्यों?

सरकार को समझना चाहिए कि चेतावनी सिर्फ चेतना के लिए होती है, प्रताड़ना के लिए नहीं। एक बार, दो बार, चलिए तीन बार — पर हर कॉल पर वही ट्यून, वही स्क्रिप्ट, वही अंदाज़ — यह सिर्फ संचार व्यवस्था को बोझिल नहीं बना रही, बल्कि जनता का भरोसा भी खो रही है। आखिर हम कब […]

Continue Reading