आगरा साहित्य समारोह एवं काव्य संगोष्ठी में दिखी साहित्य साधना की झलक

फादर्स डे पर इंद्रजीत सिंह भदौरिया की स्मृति में सजा काव्य दरबार आगरा। जलवा फरोश हैं आज जिनकी वजह से हम, वो जिंदगी की खुशियां मेरे नाम कर गए। जो है वजूद मेरा वह इशरत ओ मुहतरम, वह हाथ मेरे सर से देखो कब सरक गए… हरीश कुमार सिंह भदोरिया की इन पंक्तियों के साथ […]

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