आखिर क्यों चुप्पी साध गई पक्षियों की चहचाहट?

(सूना-सूना लग रहा, बिन पेड़ों के गाँव। पंछी उड़े प्रदेश को, बांधे अपने पाँव।। पक्षियों को पर्यावरण की स्थिति के सबसे महत्वपूर्ण संकेतकों में से एक माना जाता है। क्योंकि वे आवास परिवर्तन के प्रति संवेदनशील हैं और पक्षी पारिस्थितिकीविद् के पसंदीदा उपकरण हैं। पक्षियों की आबादी में परिवर्तन अक्सर पर्यावरणीय समस्याओं का पहला संकेत […]

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साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार और माफ़िया गैंग: क्या साहित्य में माफ़िया गैंग का प्रवेश हो चुका है?

इस बार की साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार की अंतिम घोषणा पूर्णतः जाली और संशयाधीन प्रतीत हो रही है। इससे बड़ी साहित्यिक दुर्घटना और क्या हो सकती है? इन मानदंडों पर चलते हुए हम कहाँ जा रहे हैं? समाज को क्या सीख दे रहे हैं? क्या इन्हीं अनैतिक मूल्यों के साथ आज का युवा और उनका […]

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हरियाणा के डॉ. सत्यवान सौरभ के दोहों का देश के सर्वश्रेष्ठ 64 दोहाकारों में चयन

दैनिक संपादकीय लेखकों में से एक है, डॉ. सत्यवान सौरभ। हाल ही में इनका एक दोहा संग्रह ‘तितली है खामोश’ भी आया है जो देशभर में काफी चर्चित रहा है। राष्ट्रीय दोहा संग्रह ‘प्रतिरोध के दोहे’ के प्रकाशन पर देश भर के साहित्यकारों ने दी शुभकामनाएं। इसमें देश के 64 दोहाकारों के दोहे संकलित हैं। […]

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पर्यावरण एवं स्वास्थ्य को निगलते रासायनिक उर्वरक

रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभावों को हल करने में लगेंगे कई साल, वैकल्पिक और टिकाऊ तरीकों पर विचार करना बुद्धिमानी। किसानों को उर्वरकों के उपयोग की सर्वोत्तम प्रक्रियाओं के बारे में शिक्षित करें, जिसमें सही मात्रा, समय और उपयोग की तकनीकें शामिल हैं। जो किसान अधिक ज्ञान प्राप्त करेंगे वे निर्णय लेने में बेहतर ढंग से […]

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क्या नीट 2024 है घोटाला, कैसे निकले एक ही सेंटर से 8 टॉपर?

(100 करोड़ लोगों का चुनाव आसानी से हो जाता है, पर 20 लाख बच्चों का पेपर सही से नही हो पाता?) (एक ही केंद्र के 6 छात्रों को 720/720 अंक कैसे मिले? परिणाम 14 जून के बजाय 4 जून (चुनाव परिणाम दिवस) को क्यों घोषित किए गए? कुछ गड़बड़ है, लाखों नीट उम्मीदवार इसका उत्तर […]

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एनडीए की आसानी से नहीं बनेगी सरकार: यह जनादेश किसकी जीत, किसकी हार? क्या 10 साल बाद लौट रहा गठबंधन सरकार का दौर..

यह भाजपा की स्पष्ट जीत नहीं है। यह एनडीए की जीत ज्यादा है। आंकड़ों की दोपहर तक की स्थिति को देखें तो यह माना जा सकता है कि पूरे पांच साल भाजपा गठबंधन के सहयोगियों खासकर जदयू और तेदेपा के भरोसे रहेगी। इन दोनों दलों के बारे में यह कहना मुश्किल है कि ये भाजपा […]

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प्राइवेट स्कूलों का मकड़जाल: स्कूल बने कॉपी-किताब की दुकान, अभिभावक परेशान। निजी स्कूलों की मनमानी पर कैसे लगेगी लगाम?

देश भर में के प्राइवेट स्कूलों में कॉपी किताबों के नाम पर बड़ा खेल चल रहा है। बाजार से अधिक दामों में लूट मचा रखी है। प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक प्राइवेट स्कूलों की मनमानी से परेशान है। बच्चे अगर पुस्तकें स्कूल की जगह बाहर से खरीद लें तो उनके बच्चों के […]

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क्यों संदिग्ध है अकादमी पुरस्कारों की वार्षिक गतिविधियां ?

आखिर क्यों सही से काम नहीं कर पा रही साहित्य अकादमियां? पिछले दशकों में पुरस्कारों की बंदर बांट कथित साहित्यकारों, कलाकारों और अपने लोगों को प्रस्तुत करने के लिए विशेष साहित्यकार, पुरोधा कलाकार, साहित्य ऋषि जैसी कई श्रेणियां बनी है। जिसके तहत विभिन्न अकादमियां एक दूसरे के अध्यक्षों को पुरस्कृत कर रही है और निर्णायकों […]

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परिवार दिवस विशेष: फूट-कलह ने खींच दी, हर आँगन दीवार

भौतिकवादी युग में एक-दूसरे की सुख-सुविधाओं की प्रतिस्पर्धा ने मन के रिश्तों को झुलसा दिया है. कच्चे से पक्के होते घरों की ऊँची दीवारों ने आपसी वार्तालाप को लुप्त कर दिया है. पत्थर होते हर आंगन में फ़ूट-कलह का नंगा नाच हो रहा है. आपसी मतभेदों ने गहरे मन भेद कर दिए है. बड़े-बुजुर्गों की […]

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चिंताजनक है अखबारों और लेखकों की स्थिति..

समाचार पत्र और यहां तक कि लेखकों को भी अस्तित्व बचाने के लिए गूगल व फे़सबुक को मात देना होगा। बदहाल होती स्थिति पर सवाल यह है- वे ऐसा कैसे करेंगे? सबसे महत्वपूर्ण कारक है न्यूज़ कैरियर की बढ़ोत्तरी- गूगल, फे़सबुक और बाकी दूसरे। एक तरफ वे किसी अन्य द्वारा उत्पादित समाचार ले लेते हैं […]

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