संसार में सबसे दुर्लभ है निस्वार्थ भावना: जैन मुनि मणिभद्र

मोबाइल ने खत्म कर दी अतिथि भाव की परंपरा अतिथि भाव से ही हुआ तपस्वी चंदनवाला का कल्याण आगरा। संसार में सबसे दुर्लभ कार्य है निस्वार्थ भावना से दान देना। देने वाला दाता और पाने वाला पाता होता है। यदि देने वाला अंहकार से भरा हुआ हो और लेने वाला संतुष्ट नहीं हो, उसे लोभ […]

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