12 साल बाद अरब लीग में हो रही सीरिया की वापसी, अमेरिका के लिए बड़ा झटका

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कतर के विरोध के बावजूद 12 साल बाद आखिरकार सीरिया की अरब लीग में वापसी हो गई. काहिरा में अरब लीग के 13 सदस्य देशों ने सीरिया के पक्ष में मतदान किया, जबकि 8 देश इस प्रक्रिया में शामिल नहीं हुए.

खास बात ये है कि वोटिंग प्रक्रिया से पहले एक स्पेशल कमेटी बनाई गई थी, जो सीरिया से कई पहलुओं पर बातचीत करेगी. इसे लीड सऊदी कर रहा है, जबकि ईराक, जॉर्डन और लेबनान जैसे देश इसके सदस्य हैं. 12 साल बाद ऐसा पहली बार होगा जब अगली 19 मई को अरब के रियाद में आयोजित अरब लीग की मीटिंग में सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद शिरकत करेंगे.

क्या है अरब लीग

अरब लीग का गठन 22 मार्च 1945 को हुआ था. यह अरब और अफ्रीकी देशों का महत्वपूर्ण संगठन है. जब इस लीग का गठन हुआ था तब इसमें महज 6 देश थे. इस संगठन की हर साल मार्च और सितंबर में दो बैठकें आयोजित की जाती हैं, लेकिन जरूरत पड़ने पर कोई भी सदस्य देश आपात बैठक बुला सकता है.

खास बात ये है कि भारत भी इस लीग की ऑब्जर्बर कंट्री रह चुका है. सीरिया में इसमें शामिल होने से पहले इस लीग में 22 सदस्य देश थे. इनमें से ज्यादातर से भारत के रिश्ते अच्छे हैं, क्योंकि इन अरब और खाड़ी देशों में भारत के नागरिक बड़ी संख्या में रहते हैं.

अमेरिका था सीरिया की वापसी में बाधा

अरब लीग से सीरिया की सदस्यता रद्द कर दी गई थी, दरअसल 12 साल पहले सीरिया के राष्ट्रपतित बशद अस असद ने विद्रोही गुटों पर कार्रवाई की थी, रूस और ईरान इसके समर्थन में थे, लेकिन अरब ने इसे अपना विरोध माना था. इसके बाद सीरिया ने यह आरोप लगाया था कि विद्रोहियों को सऊदी की ओर से ही फंड मिल रहा है. इसके बाद सऊदी अरब ने सीरिया को अरब लीग से बाहर का रास्ता दिखा दिया था. धीरे-धीरे यह देश अमेरिका और रूस के लिए जंग का मैदान बन गया. अमेरिका चाहता तो सीरिया की पहले ही अरब देशों में वापसी हो सकती थी, लेकिन इजरायल के फिलिस्तीन मोह के चलते अमेरिका लगातार इसमें बाधा बन रहा था.

अमेरिका के लिए झटका है ये कदम

सीरिया के अरब लीग में वापसी की अटकलें कुछ महीने पहले तब शुरू हुईं थीं जब अरब और ईरान बातचीत के लिए एक टेबल पर आए थे. इसका प्रयास किया था चीन ने, लेकिन इसके पीछे माइंड था पुतिन का. इसके बाद से ही सऊदी अरब और सीरिया के बीच शांति वार्ता शुरू हो गई थी. इसके लिए मध्यस्थता कर रहा था रूस. इसके बाद ही दोनों देशों में राजनयिक संबंध शुरू हुए.

सीरिया की अरब लीग में वापसी एक तरह से अमेरिका के लिए बड़ा झटका है, यह कदम इजरायल की मुश्किलें भी बढ़ाने वाला है, क्योंकि सीरिया के अरब लीग में आने से फिलिस्तीन में इजरायल कमजोर पड़ सकता है. इसके सापेक्ष रूस की अरब देशों पर पकड़ बढ़ सकती है.

Compiled: up18 News