सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई के दौरान निर्देश दिया है कि सतलुज-यमुना नहर लिंक योजना विवाद पर केंद्र सरकार पंजाब और हरियाणा के बीच मध्यस्थता करे। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को भी फटकार लगाई है। जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस सुधांशु धुलिया की पीठ इस मामले पर सुनवाई कर रही है।
केंद्र करे विवाद में मध्यस्थता
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार पंजाब को आवंटित जमीन का सर्वेक्षण कराए। साथ ही केंद्र को इस विवाद में मध्यस्थता करने का भी निर्देश दिया। कोर्ट अब जनवरी 2024 में इस मामले पर सुनवाई करेगा। कोर्ट ने नहर के निर्माण के लिए कदम नहीं उठाने के लिए पंजाब सरकार को फटकार भी लगाई। कोर्ट ने पंजाब सरकार को मामले में सहयोग करने का निर्देश भी दिया। इससे पहले 28 जुलाई 2020 को सतलुज यमुना नहर लिंक विवाद पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों को सौहार्दपूर्ण तरीके से विवाद को निपटाने के लिए कहा था।
क्या है विवाद
बता दें कि साल 1966 में पंजाब को विभाजित कर हरियाणा राज्य का गठन किया गया था। साल 1981 में दोनों राज्यों के बीच पानी के बंटवारे को लेकर समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत सतलुज यमुना नहर लिंक योजना बनाई गई और दोनों राज्यों को अपने-अपने इलाके में नहर का निर्माण करना था। हरियाणा ने जहां अपने क्षेत्र में नहर का निर्माण कर लिया है, वहीं पंजाब ने निर्माण कार्य शुरू करने के बाद इससे अपने कदम पीछे खींच लिए। इतना ही नहीं, साल 2004 में पंजाब ने एक कानून बनाकर एकतरफा तरीके से इस समझौते को ही रद्द कर दिया। साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के इस कानून को रद्द कर दिया। बाद में पंजाब ने नहर के निर्माण के लिए अधिग्रहित की गई जमीन ही किसानों को वापस लौटा दी, जिससे यह विवाद और गहरा गया है।
Compiled: up18 News
Discover more from Up18 News
Subscribe to get the latest posts sent to your email.