दिल्ली सरकार बनाम एलजी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नौकरशाही पर नियंत्रण के मामले में अपना फ़ैसला सुना दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ किया है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सरकार के प्रशासनिक अधिकारियों पर दिल्ली की चुनी हुई सरकार का नियंत्रण है और नौकरशाही के ऊपर उसी का कंट्रोल रहेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ़ किया कि क़ानून व्यवस्था, पुलिस और भूमि के विषय को छोड़कर सेवाओं के मुद्दे पर दिल्ली विधानसभा को विधायी अधिकार होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “अगर अधिकारियों को ये लगता है कि वे सरकार के नियंत्रण से बाहर हैं तो इससे जिम्मेदारी की भावना कमज़ोर पड़ेगी और सरकार पर असर पड़ेगा. अगर अधिकारी मंत्रियों को रिपोर्ट करना बंद कर देंगे और उनके निर्देशों से बंधे हुए नहीं रहेंगे तो सामुदायिक उत्तरदायित्व पर भी असर पड़ेगा.”
शीर्ष अदालत ने कहा कि लेफ्टिनेंट गवर्नर पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और ज़मीन के विषय को छोड़कर दिल्ली सरकार के फ़ैसलों को मानने के लिए बाध्य हैं.
इस संविधान पीठ में चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारि, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल थे.
इससे पहले जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने साल 2019 में ये फ़ैसला दिया था कि ‘सर्विसेज़’ का विषय दिल्ली सरकार के दायरे से बाहर है.
Compiled: up18 News
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