अग्निपथ स्कीम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी को दिल्ली हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया है। कोर्ट ने केरल, पंजाब और हरियाणा, पटना और उत्तराखंड के हाईकोर्ट से भी अग्निपथ के खिलाफ सभी जनहित याचिकाओं को दिल्ली हाईकोर्ट में स्थानांतरित करने के लिए कहा है। अग्निपथ योजना पर रोक लगाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी तीन याचिकाएं दाखिल की गई थीं। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट से कहा कि अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जल्द सुनवाई की जाए और इनका निपटारा किया जाए।
स्कीम को लेकर दायर याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। तीन में से 1 याचिका, जनहित याचिका लगाने के लिए मशहूर वकील एमएल शर्मा ने भी दाखिल की थी। आज उन्हें कोर्ट से फटकार भी सुनने को मिली। अग्निपथ योजना के खिलाफ याचिकाओं पर कोर्ट जब आदेश लिखवा रहा था, तब याचिकाकर्ता मनोहर लाल शर्मा टोका टाकी कर रहे थे। इस दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने मनोहर लाल शर्मा फटकार लगाकर कहा कि आप वीर होंगे, लेकिन अग्निवीर तो कतई नहीं हैं। आप भविष्य में अग्निवीर नहीं बनने जा रहे, इसलिए बेवजह टोका टिप्पणी न करें।
अग्निपथ योजना के तहत थलसेना में भर्ती प्रक्रिया जहां 1 जुलाई से शुरू हो गई वहीं वायुसेना में इससे पहले 24 जून जबकि नौसेना में 25 जून से शुरू हो गई। इस भर्ती में 17.5 वर्ष से 21 वर्ष तक के उम्मीदवार शामिल हो सकेंगे। हालांकि, इस साल के लिए आयु सीमा बढ़ाकर 23 साल कर दी गई है। यह भर्ती चार सालों के लिए होगी। इसके बाद परफॉर्मेंस के आधार पर 25 फीसदी कर्मियों को वापस से रेगुलर कैडर के लिए नामांकित किया जाएगा।
हालांकि सरकार ने जब ये स्कीम अनाउंस की तो देश भर में खासा बवाल मचा। इसी दौरान कुछ लोगों ने अलग-अलग हाईकोर्ट के साथ सुप्रीम कोर्ट में भी स्कीम को चुनौती दी। केंद्र ने 21 जून को सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट अर्जी दाखिल कर रक्षा बलों के लिए अग्निपथ भर्ती योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सरकार का पक्ष भी सुनने की मांग की है। केंद्र का कहना है कि उसका पक्ष सुने बिना कोई आदेश ना दिया जाए।
-एजेंसी
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