रूस के पूर्व राष्ट्रपति और रूस की सुरक्षा परिषद के उप चेयरमैन दिमित्री मेदवेदेव ने जर्मनी के फ़ैसले का जवाब दिया है. मंगलवार को यूक्रेन को लेकर रूस के उठाए गए क़दम के बाद जर्मनी ने रूस के साथ प्राकृतिक गैस परियोजना नॉर्थ स्ट्रीम 2 पर रोक लगा दी थी.
इस पर टिप्पणी करते हुए मेदवेदेव ने ट्विटर पर लिखा- जर्मन चांसल ओलाफ़ शल्ट्स ने इस परियोजना को पूरा करने की प्रक्रिया पर रोक लगाने का आदेश दिया है. उन्होंने लिखा है कि जल्द ही यूरोप के लोगों को प्राकृतिक गैस के लिए बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ेगी.
यूक्रेन संकट को लेकर रूस के ख़िलाफ़ क़दम उठाते हुए जर्मनी ने नॉर्थ स्ट्रीम2 गैस पाइपलाइन को शुरू करने की प्रक्रिया रोक दी थी. जर्मनी के चांसलर ओलाफ़ शल्ट्स ने बर्लिन में पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि यूक्रेन में रूस ने जो क़दम उठाएँ हैं,
उसके जवाब में उनकी सरकार ये कार्रवाई कर रही है. जर्मनी पर अमेरिका और अन्य यूरोपीय देश इस पाइपलाइन परियोजना पर रोक लगाने के लिए दबाव डाल रहे थे, लेकिन जर्मनी इससे सहमत नहीं था. लेकिन अब इस परियोजना की प्रक्रिया पर उसने रोक लगा दी है, जो काफ़ी अहम फ़ैसला माना जा रहा है.
अमेरिका कई वर्षों से ये तर्क देता रहा है कि नेचुरल गैस लाने के लिए रूस और जर्मनी के बीच एक और पाइपलाइन बनाने से यूरोपीय देशों की निर्भरता रूस पर बढ़ेगी. शल्ट्स ने कहा कि ताज़ा घटनाक्रम को देखते हुए इस पाइपलाइन को प्रमाणित करने की प्रक्रिया का फिर से मूल्यांकन करने का फ़ैसला किया है. हालाँकि ये पाइपलाइन अभी शुरू नहीं हुआ है.
जर्मनी अपनी ऊर्जा ज़रूरतों का क़रीब एक चौथाई हिस्सा प्राकृतिक गैस से पूरा करता है. लेकिन माना जा रहा है कि आने वाले समय में ये हिस्सा और बढ़ेगा क्योंकि जर्मनी अपने तीन बचे हुए परमाणु पॉवर प्लांट को बंद कर रहा है, साथ ही चरणबद्ध तरीक़े से कोयले का इस्तेमाल भी रोका जा रहा है. जर्मनी में इस्तेमाल हो रही प्राकृतिक गैस का आधा हिस्सा रूस से आता है.
-एजेंसियां
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