कर्नाटक हिजाब विवाद मामले की सुनवाई अब बड़ी बेंच में होगी। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने सुनवाई के बाद कहा कि इसे बड़ी बेंच को भेजे जाने की जरूरत है। कोर्ट में दलील दी गई थी ये मामला काफी गंभीर है और इसे बड़े बेंच को भेजे जाने की जरूरत है।
सिंगल बेंच ने कॉलेज में लड़कियों को हिजाब पहनने की इजाजत देने के संबंध में अंतरिम आदेश पारित करने की मांग को नहीं माना। बेंच ने कहा कि अंतरिम राहत बड़ी बेंच ही दे सकती है।
अधिवक्ता देवदत्त: राज्य सरकार के रुख ने इसे अपने लिए और खराब कर दिया है। राज्य का कहना है कि उसने कुछ भी प्रतिबंधित नहीं किया है। यह बेकार है। अगर राज्य कहता है कि उसने फैसला नहीं किया है, तो हम किसी समिति की दया पर हैं।
एडवोकेट देवदत्त कामत: कॉलेज के निर्धारित ड्रेस कोड का पालन करते हुए बच्चों को क्लास में अवश्य उपस्थित होना चाहिए
जस्टिस कृष्णा दीक्षित ने बड़ी बेंच के संदर्भ पर पूछा: अगर आपको लगता है और सभी सहमत हैं तो मैं यह कर सकता हूं। जस्टिस दीक्षित ने मामले की सुनवाई बड़ी बेंच से करने का आग्रह किया।
जस्टिस कृष्णा दीक्षित: हमारे वक्त में स्कूल का रंग एक ही होता था।
जस्टिस कृष्ण दीक्षित: मुझे लगता है कि इस केस को बड़े बेंच को भेजने की जरूरत है। इस मामले में दूसरे राज्य से हाईकोर्ट के फैसलों को भी पढ़ने की जरूरत है।
जस्टिस कृष्ण दीक्षित ने केस को बड़ी बेंच में भेजे जाने को लेकर पूछा। उन्होंने कहा कि अगर आपको लगता है और सभी सहमत होते हैं तो इस मामले को बड़ी बेंच में भेजा जा सकता है।
हाई कोर्ट में शुरू हुई सुनवाई
3:00 PM कर्नाटक एचसी के न्यायमूर्ति कृष्ण दीक्षित का मानना है कि इस मामले को एक बड़ी पीठ के विचार की आवश्यकता है। याचिकाकर्ता जल्द निस्तारण की मांग कर रहे हैं। इससे पहले अधिवक्ता आदित्य सिंह ने तर्क दिया कि स्कूल की ड्रेस सार्वजनिक व्यवस्था का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि सार्वजनिक व्यवस्था का मतलब स्कूल में अनुशासन है।
जस्टिस कृष्णा एस. दीक्षित की सिंगल बेच इस मामले पर दोपहर ढाई बजे सुनवाई शुरू की। इससे पहले कोर्ट ने मंगलवार को कहा था कि वह इस मामले को भावनाओं नहीं बल्कि संविधान के आधार पर सुनेगा। कोर्ट ने हिजाब के समर्थन और विरोध में हो रहे स्टूडेंट के प्रदर्शनों को गलत बताया। कोर्ट ने कहा कि सड़कों पर उतरना, नारेबाजी करना, स्टूडेंट्स का एक दूसरे पर हमला करना अच्छी बात नहीं है। मंगलवार को सुनवाई के दौरान मुस्लिमों के पवित्र धार्मिक ग्रंथ कुरान का भी जिक्र आया था।
हिजाब विवाद ने पकड़ा सियासी तूल
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि इस मसले पर नफरत फैलाई जा रही है। वहीं, दक्षिण के मशहूर अभिनेता कमल हसन ने कहा कि इस विवाद के जरिए जहरीली सांप्रदायिक दीवार खड़ी की जा रही है। गौरतलब है कि हिजाब विवाद पर आज लगातार दूसरे दिन कर्नाटक हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। कल हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि उनके लिए संविधान ही भगवद्गीता है। वहीं, इस विवाद के कारण राज्य में स्कूल-कॉलेज तीन दिन के लिए बंद कर दिया गया है।
इधर अभिनेता से राजनेता बने कमल हासन ने चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि जहरीली सांप्रदायिक दीवार खड़ी की जा रही है। पड़ोसी राज्य कर्नाटक की आग तमिलनाडु न पहुंचे, इसलिए सरकार को अलर्ट रहने की जरूरत है। कमल हासन ने ट्वीट कर कहा कि कर्नाटक में जो हो रहा है वह अशांति फैला रहा है। झूठ नहीं बोलने वाले छात्रों के बीच धार्मिक जहर की दीवार खड़ी की जा रही है। पड़ोसी राज्य में जो हो रहा है वह तमिलनाडु में नहीं आना चाहिए। प्रगतिशील ताकतों को अधिक सावधान रहने का समय आ गया है।
मंगलवार को हाई कोर्ट ने की थी सख्त टिप्पणी
कॉलेजों में हिजाब की मंजूरी ना देने के खिलाफ दी गई याचिका पर कर्नाटक हाई कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा, ‘हमें संविधान के हिसाब से काम करना है। वही हमारे लिए गीता है। जो कुछ हो रहा है, वह ठीक नहीं है। इस मुद्दे पर भावनाओं को एक तरफ रख देना चाहिए। सरकार कुरान के खिलाफ नहीं है। हिजाब पहनना निजता का मामला है।’
हाई कोर्ट ने की है शांति बनाए रखने की अपील
न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित की एकल पीठ ने कहा, ‘यह अदालत विद्यार्थियों और आम लोगों से शांति और सौहार्द बनाये रखने का अनुरोध करती है। इस अदालत को समग्र जनता की बुद्धिमता और सदाचार पर पूरा भरोसा है और उम्मीद करती है कि इसे व्यवहार में भी अपनाया जाएगा।’
कुछ शरारती तत्व दे रहे हैं मामले को तूल
न्यायमूर्ति दीक्षित ने लोगों को भारतीय संविधान में भरोसा रखने की सीख देते हुए कहा कि कुछ शरारती तत्व ही इस मामले को तूल दे रहे हैं। आंदोलन, नारेबाजी और विद्यार्थियों का एक दूसरे पर हमला करना अच्छी बात नहीं है।
क्या बोले कर्नाटक सरकार के वकील?
इससे पहले, कर्नाटक सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता प्रभुलिंग नवादगी ने अदालत से राज्य में विरोध प्रदर्शनों पर रोक लगाने के संबंध में अंतरिम आदेश जारी करने का अनुरोध किया। हिजाब की अनुमति देने की मांग कर रही याचिकाकर्ता-छात्राओं की ओर से पेश वकील देवदत्त कामत ने भी महाधिवक्ता नवादगी के अनुरोध से सहमति जताई।
याचिका करने वाली छात्रा के वकील की दलील
सुनवाई के दौरान कामत ने दावा किया कि कक्षाओं में यूनीफॉर्म पहनने और शांति एवं सौहार्द भंग करने वाले कपड़े पहनकर आने को लेकर पांच फरवरी को जारी आदेश संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों के खिलाफ हैं। उन्होंने दावा किया कि हिजाब पहने कुछ छात्राओं को कक्षाओं में प्रवेश की अनुमति तो दी गयी थी, लेकिन उन्हें अलग बिठाया गया था, जो धार्मिक भेदभाव है। इस पर नवादगी ने यह कहते हुए विरोध किया कि इस तरह के बयान के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।
-एजेंसियां
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