पांच राज्यों में चुनाव के बावजूद प्रचार सामग्री के कारोबारियों को बड़ा नुकसान

Business

इस समय पांच राज्यों में भले ही विधानसभा चुनाव हो रहे हों लेकिन चुनाव आयोग की तरफ से बड़ी रैलियों के बजाए वर्चुअली कैंपेन पर फोकस रखने की सलाह दी गई है। राजनीतिक दलों के नेता भी डोर-टू-डोर कैंपेन, रोड शो और छोटी जनसभाओं को संबोधित करते नजर आ रहे हैं। चुनाव अभियान के बदले स्वरूप से प्रचार सामग्री से जुड़े व्यापारियों को खासा नुकसान पहुंचा है।

कमर ही टूट गई

दिल्ली के सबसे बड़े थोक मार्केट सदर बाजार में पॉलिटिकल पार्टियों के झंडे, पटके, टोपी, बैनर, बिल्ले, पैन, डायरी आदि बनाने वाले व्यापारियों का अच्छा कामकाज है। अब कोविड प्रतिबंधों और चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों की वजह से चुनाव प्रचार सामग्री व्यापार की कमर टूट गई है। ऑल इंडिया इलेक्शन मैटेरियल मैन्यफ्रैक्चर्स एंड ट्रेडर्स असोसिएशन के महासचिव गुलशन खुराना ने बताया कि 5 साल पहले जो बिजनेस 5 हजार करोड़ रुपये का होता था, वह अब सिमटकर 600-700 करोड़ रुपये का रह गया है। सोशल मीडिया और कोरोना की वजह से प्रचार सामग्री व्यापारियों की हालत खराब हो गई है।

पहले खूब बिकते थे झंडे-बैनर

कोरोना काल से पहले बड़ी-बड़ी रैलियां होती थीं। गली मोहल्ले में पदयात्राएं होती थीं। माहौल बनाने के लिए पटके, झंडे, बिंदी, साड़ियां, टोपी, झालर, बैंड, बैनर, टीशर्ट, स्टिकर आदि बिकते थे। महामारी में यह काम पिट गया है। सोशल मीडिया और वर्चुअल कैंपेन पर राजनेता फोकस किये हैं।

इससे इलेक्शन कैंपेनिंग के दौरान उपयोग होने वाला सामान कम बिका है। दिल्ली के पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में चुनाव हो रहा है। यहां से काफी माल कैंपेन में जाता था। इस बार ऐसा नहीं हुआ है।

मास्क भी नहीं बिके

गुलशन ने बताया कि कोविड-19 को ध्यान में रखकर मास्क भी बनाए थे। सभी राजनीतिक दलों के रंग और चुनाव चिन्ह मास्क का डिजाइन तैयार किया मगर नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं में महामारी का कोई खौफ नहीं दिख रहा।

अधिकतर लोग बगैर मास्क के रैलियों और राजनीतिक कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे है। हमारे मास्क भी ज्यादा नहीं बिके जबकि अभी कोरोना गया नहीं है। यदि राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता और समर्थक मास्क लगाएंगे तो उनका प्रचार भी होगा और वे संक्रमण से भी बच सकते हैं।

वित्तीय राहत पैकेज की उठी मांग

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने केंद्र और राज्य सरकारों से डिमांड की है कि चुनाव प्रचार सामग्री से संबंधित व्यापारियों को वित्तीय राहत पैकेज दिया जाए। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा है कि इलेक्शन कैंपेन का बिजनेस देश में सीजनल है। इनसे जुड़े व्यापारियों को चुनाव का इंतजार रहता है। अब चुनाव आयोग द्वारा लगाई पाबंदियों से ट्रेडर्स को नुकसान पहुंचा है। इस बार आउटडोर प्रचार बहुत कम है। इसलिए व्यापारियों का सामान नहीं बिक रहा है।

-एजेंसियां