श्रीमनःकामेश्वर बाल विद्यालय, दिगनेर में चल रही है श्रीराम लीला
दसवें दिन लीला में हुआ लक्ष्मण शक्ति, मेघनाथ वध कुंभकरण− रावण वध लीलाओं का मंचन
आगरा। भूमि डोल गयी, समुद्र, नदियां, दस दिशाओं के हाथी और पर्वत क्षुब्ध हो उठे। वानरों और भालुओं की सेना को अपनी विशाल भुजाओं में दबाता हुआ रावण दो टुकड़ों में भूमि पर धराशाही हो गया। रावण के धरा पर गिरते ही जय श्रीराम, जय श्रीराम के जयघाेषाें से पूरा रामलीला पंडाल दिप्तिमान हो उठा। शनिवार को गढ़ी ईश्वरा, ग्राम दिगनेर, शमशाबाद रोड स्थित श्रीमनः कामेश्वर बाल विद्यालय में चल रही श्रीमनःकामेश्वरनाथ रामलीला के दसवें दिन लक्ष्मण शक्ति, मेघनाथ, कुंभकरण और दशानन वध की लीलाओं का भव्य मंचन हुआ।
महंतश्री योगेश पुरी ने बताया कि शक्ति आराधना के बाद श्रीराम ने रावण के वध की लिए धनुष उठाया। इसके पीछे समाज को संदेश दिया कि शक्ति बिना शिव अधूरे हैं, जब तब नारी शक्ति का साथ पुरुष को नहीं मिलता राम भी रावण वध के लिए तत्पर नहीं होते।
लीला मंचन में दर्शाया गया कि लंका दहन के बाद क्रोधित हुए दशानन ने अपने पुत्र मेघनाथ को रणभूमि में युद्ध के लिए भेजा। युद्ध भूमि में अपने रण कौशल से मेघनाथ ने लक्ष्मण जी को मूर्छित कर दिया। जैसे ही यह समाचार रामाकुल को प्राप्त हुआ प्रभु श्री राम की सेना के वानर भालू व्याकुल हो उठे। तभी जामवंत की आज्ञा पाकर हनुमान जी संजीवन बूटी लेने के लिए प्रस्थान कर गए। अपने छोटे भाई लक्ष्मण जी को मूर्छित देखकर प्रभु श्री राम विलाप करते हुए खुद को कोस रहे थे।
इस प्रकार की मार्मिक लीला को देखकर दर्शक भाव विभोर हो गए। प्रभु श्री राम और उनकी सेना द्वारा मेघनाथ, कुंभकरण वध लीला हुयी। तत्पश्चात रणभेरी बजते ही प्रभु श्री राम और लंकापति रावण की सेना जैसे ही नजदीक आईं दोनों में भयंकर युद्ध हुआ। दोनों ओर से बाणों की वर्षा होते हुए युद्ध में दशानन की सेना क्षण भर में धराशाई हो गई। प्रभु श्री राम ने 31 बाणों से दशानन की नाभि में प्रहार किया।
प्रभु श्री राम की इस अलौकिक शक्ति से रावण तीर लगते ही धू-धू करके जलने लगा। अपनी सेना के साथ लंकापति रावण के दहन पर आयोजन स्थल जय श्री राम के उद्घोष से गूंज उठा। मठ प्रशासक हरिहर पुरी ने बताया श्रीमनःकामेश्वर राम लीला का रविवार को राज्याभिषेक के साथ समापन हो जाएगा।