श्रीकृष्ण जन्मस्थान-शाही ईदगाह मामला: कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने की मांग खारिज़

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गौरतलब है कि महेंद्र प्रताप सिंह ने शाही ईदगाह का सर्वे कराए जाने को लेकर सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में वाद दाखिल किया था। निचली अदालत द्वारा यह वाद खारिज कर दिया गया। इसके बाद वादी ने जिला जज की कोर्ट में रिवीजन वाद दाखिल किया। जिला जज की अदालत ने इस केस को सुनने के लिए एडीजे 6th की कोर्ट में भेज दिया था। अब एडीजे 6th की कोर्ट ने भी इस वाद को खारिज़ कर दिया है।

कोर्ट ने दी थी 25 मार्च की तारीख

रिवीजन वाद पर 15 मार्च को कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की बहस पूरी हो गई थी। इसके बाद कोर्ट ने इस मामले में 20 मार्च को फैसला सुनाने के लिए मुकर्रर की थी लेकिन 20 मार्च को कोर्ट के व्यस्त होने के चलते इस मामले में 25 मार्च की तारीख दी गई थी।

हिंदू पक्षकारों का आरोप- सबूत मिटाए जा रहे

हिंदू पक्षकारों ने ये आरोप लगाया है कि मुस्लिम पक्ष के लोग शाही ईदगाह परिसर का विस्तार कर रहे हैं। वहां मौजूद कथित सबूतों को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में मस्जिद का सरकारी अमीन की मदद से सर्वे कराया जाए। इस अपील का मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में विरोध किया। 23 फरवरी को दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह की ओर से दाखिल याचिका में आरोप लगाया गया था कि शाही ईदगाह परिसर में कुछ लोग गुपचुप तरीके से विस्तार कर रहे हैं। पुराने साक्ष्यों को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि सरकारी अमीन की मदद से परिसर का भौगोलिक सर्वे कराया जाए। ताकि सबूतों को सुरक्षित रखा जा सके। इस मामले में महेंद्र प्रताप सिंह ने जिला जज की अदालत में रिवीजन वाद दाखिल किया था। जिला जज ने रिवीजन दावे की एडीजे 6th की अदालत में ट्रांसफर कर दिया था।

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने बहस को पूरा माना और मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। इस फैसले के आने के बाद इस पर स्थिति साफ हो जाएगी कि मामले में सरकारी अमीन के द्वारा मस्जिद का भौगोलिक सर्वे कराया जाएगा या नहीं? कोर्ट कमीशन का ऑर्डर न्यायालय निचली कोर्ट को करेगी।


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