शरद पवार की पार्टी NCP ने बाजार समिति के चुनावों में BJP से हाथ मिलाया, कांग्रेस खफा

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ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि अब शरद पवार की पार्टी एनसीपी ने एपीएमसी (बाजार समिति) के चुनावों में लगभग पचास फीसदी जगहों पर विरोधी दल BJP के साथ हाथ मिला लिया है। एमवीए में टूट के लिए जिम्मेदार सिर्फ यही एक वजह नहीं है। इसके अलावा एमवीए में सहयोगी शिवसेना (यूबीटी) द्वारा एवीएम से छेड़छाड़ का मुद्दा उठाया गया है। इस पर भी शरद पवार ने अलग रुख अपनाते हुए कहा कि ईवीएम से छेड़छाड़ संभव नहीं है।

इसके पहले भी शरद पवार कई बार गठबंधन की विचारधारा से अलग बयान दे चुके हैं। कुछ दिन पहले शरद पवार ने वीर सावरकर मुद्दे पर राहुल गांधी के बयान से असहमति जताई थी। उसके बाद कांग्रेस द्वारा अडानी के मुद्दे पर जेपीसी के गठन की मांग पर भी अलग रुख अख्तियार किया था।

पवार ने कहा कि जेपीसी से कुछ नहीं होगा मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की कमिटी से कराई जानी चाहिए। इसलिए अब यह अटकलें लगायी जा रही हैं कि क्या एमवीए में वाकई फूट पड़ चुकी है?

किसानों के साथ चीटिंग न हो

साल 1963 में एपीएमसी (एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमिटी) के तहत बाजार समिति का गठन किया गया था ताकि किसानों को उनकी पैदावार का उचित दाम मिल सके। इसके अलावा बाजार समिति में फसल आने के बाद उसे सही तरीके से तौला भी जाए जिससे किसानों के साथ किसी प्रकार की चीटिंग न हो सके। यह बाजार की समिति की जिम्मेदारी होती है कि वह आने वाले की फसल को बेचने का उचित प्लेटफार्म उपलब्ध करवाए। साथ ही किसानों को रहने के लिए भी व्यवस्था करे।

एनसीपी से नाराज कांग्रेस!

महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा, ‘यह बात मेरी जानकारी में आई है कि एनसीपी ने बाजार समिति चुनाव में तकरीबन पचास फीसदी जगहों में हमारे विरोधी दल बीजेपी के साथ हाथ मिला लिया है।’

पटोले ने कहा कि यह जानकारी हमारे जमीनी कार्यकर्ताओं द्वारा दी गयी है। जिसे हम वेरिफाई भी करेंगे। इसके अलावा यह बात सोमवार को ठाणे में होने वाली वर्किंग कमेटी की मीटिंग में भी रखी जाएगी। पटोले ने यह भी कहा कि जिस तरह से पवार ने जेपीसी के मुद्दे पर अलग राय रखी है। वह एक तरह से एमवीए के सिद्धांतों से बगावत है।

Compiled: up18 News