दुनिया में वो प्राणी जो अमर है, जिसको अपनी मौत का वक्त मालूम है, जी हां, हममें से कौन जानता था कि अमरता का रहस्य समुद्र के अंदर तैर रहा था- जेलीफिश के रूप में.
जब हम जेलीफिश के बारे में सोचते हैं, तब हममें से ज्यादातर लोग अपने दिमाग में इसके जीवन के दूसरे चरण “मेडूसा स्टेज” की छवि बनाते हैं.
जीवन के इस चरण में जेलीफिश अपने पुछल्ले टेंटिकल्स के साथ बहने वाले अपारदर्शी गुब्बारे की तरह होते हैं.
जेलीफिश में नर और मादा दोनों होते हैं. उनमें शुक्राणु और अंडाणु भी होते हैं, लेकिन उनके बच्चे दूसरे जीवों की तरह पैदा नहीं होते.
वे अपना जीवन लार्वा के रूप में शुरू करते हैं. लार्वा छोटे सिगार की तरह होते हैं जो पानी में बहते रहते हैं और चिपकने के लिए किसी चट्टान या किसी आसान चीज की तलाश करते हैं.
मेडूसा अमर जेलीफिश टुरीटोप्सिस डोहर्नी (turritopsis dohrnii) जब मर जाती है तब उसका शरीर समुद्र की तलहटी में चला जाता है और धीरे-धीरे सड़ने लगता है.
आश्चर्यजनक रूप से इसकी कोशिकाएं फिर से इकट्ठा होती हैं. वे मेडूसा नहीं बनातीं, बल्कि पॉलिप बनाती हैं. इस पॉलिप से नई जेलीफिश निकलती है.
इस तरह मेडूसा जेलीफिश पिछले जीवन को छोड़कर नये सिरे से दोबारा जीवन शुरू करती है. मौत को मात देने की यह कहानी विज्ञान गल्प जैसी है.
Compiled: up18 News
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