सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। बाजार को रेग्युलेट करने वाली संस्था सेबी ने सुब्रत रॉय पर शिकंजा और कस दिया है। सेबी ने अब सहारा इंडिया के प्रमुख सुब्रत रॉय और तीन अन्य लोगों के बैंक और डीमैट खातों को कुर्क करने के आदेश दे दिए हैं। समूह की दो कंपनियों के नियामकीय मानदंडों का उल्लंघन करने पर 6.48 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूलने के लिए यह कार्रवाई की जा रही है। सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी सेबी (SEBI) की ओर से यह आदेश दिए गए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल 27 जून के अपने आदेश में सेबी ने पाया कि ‘सहारा समूह’ का हिस्सा बनने वाली दो कंपनियां सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड, जिसे अब सहारा कमोडिटी सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड के नाम से जाना जाता है और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने वैकल्पिक रूप से जारी किया था। ये ओएफसीडी (OFCD) कथित रूप से भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम 1992, सेबी और अन्य कुंजी के प्रावधानों के उल्लंघन में जारी किए गए थे।
सहारा समूह की दो कंपनियों की ओर से वैकल्पिक रूप से ओएफसीडी (OFCD) जारी करने में सेबी के मानदंडों का उल्लंघन किया गया था। इस मामले में इन चार लोगों के खिलाफ वसूली की कार्रवाई शुरू की गई है। इसमें सुब्रत रॉय के अलावा अशोक रॉय चौधरी, रवि शंकर दुबे और वंदना भार्गव के बैंक और डीमैट खाते कुर्क किए गए हैं। सभी बैंकों, डिपॉजिटरी और म्युचुअल फंडों को यह निर्देश दिया गया है कि वह सहारा इंडिया के प्रमुख सुब्रत रॉय और तीन अन्य के खातों से कोई डेबिट न होने दें। हालांकि क्रेडिट की अनुमति दी गई है।
सहारा ग्रुप की दो कंपनियों से जुड़ा है विवाद
सहारा स्कैम मुख्य रूप से सहारा ग्रुप की दो कंपनियों सहारा इंडिया रियल ऐस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (SIRECL) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (SHICL) से जुड़ा है। बात 30 सितंबर, 2009 की है। सहारा ग्रुप की एक कंपनी सहारा प्राइम सिटी ने अपने आईपीओ के लिए सेबी में आवेदन (DRHP) दाखिल किया था। डीआरएचपी में कंपनी से जुड़ी सारी अहम जानकारी होती है। जब सेबी ने इस डीआरएचपी का अध्ययन किया, तो सेबी को सहारा ग्रुप की दो कंपनियों की पैसा जुटाने की प्रक्रिया में कुछ गलतियां दिखीं। ये दो कंपनियां SHICL और SIRECL ही थीं। बता दें कि सहारा इंडिया की शुरूआत साल 1978 में हुई थी।
OFCD के जरिए जुटाए 24,000 करोड़
सेबी को 25 दिसंबर 2009 और 4 जनवरी 2010 को दो शिकायतें मिलीं थीं। इनमें कहा गया कि सहारा की कंपनियां वैकल्पिक पूर्ण परिवर्तनीय डिबेंचर (OFCDs) जारी कर रही है और गलत तरीके से धन जुटा रही है। इन शिकायतों से सेबी की शंका सही साबित हुई। इसके बाद सेबी ने इन दोनों कंपनियों की जांच शुरू कर दी।
सेबी ने पाया कि SIRECL और SHICL ने ओएफसीडी के जरिए दो से ढाई करोड़ निवेशकों से करीब 24,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं। सेबी ने सहारा की इन दोनों कंपनियों को पैसा जुटाना बंद करने का आदेश दिया और कहा कि वह निवेशकों को 15 फीसदी ब्याज के साथ उनका पैसा लौटाए।
Compiled: up18 News
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