नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2007 के गोरखपुर दंगा मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाने के लिए की गई अपील को ख़ारिज कर दिया है. चीफ़ जस्टिस एनवी रमन्ना की खंडपीठ ने अपने फ़ैसले में कहा है कि याचिका में कोई मेरिट नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले से सीएम योगी आदित्यनाथ को बड़ी राहत मिली है.
योगी आदित्यनाथ पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप था. 24 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के बाद फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था. दरअसल, इस मामले में पहले अपील इलाहाबाद हाई कोर्ट में की गई थी, जहाँ इसे ख़ारिज कर दिया गया था.
पूरा मामला क्या है
ये मामला 27 जनवरी 2007 को गोरखपुर में सांप्रदायिक दंगे से जुड़ा है. एफ़आईआर दर्ज कराने के लिए गोरखपुर के एक पत्रकार परवेज़ परवाज़ और सामाजिक कार्यकर्ता असद हयात ने याचिका दाख़िल की थी.
हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद योगी आदित्यनाथ समेत बीजेपी के कई नेताओं के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई थी. 2008 में परवेज़ परवाज़ ने गोरखपुर के कैंट पुलिस थाने में एक एफ़आईआर की थी जिसमें योगी आदित्यनाथ के साथ कुछ अन्य लोगों पर भड़काऊ भाषण का आरोप लगाया गया था.
मामले में दर्ज एफ़आईआर में आरोप था कि तत्कालीन बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ, गोरखपुर के विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल और गोरखपुर की तत्कालीन मेयर अंजू चौधरी ने रेलवे स्टेशन के पास भड़काऊ भाषण दिया था और उसी के बाद दंगा भड़का था.
लेकिन 2018 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फ़ैसले में उस याचिका को ही ख़ारिज कर दिया, जिसमें दंगों में योगी आदित्यनाथ की भूमिका की जाँच कराए जाने की मांग की गई थी.
-एजेंसी
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