स्वीडन में जानबूझकर क़ुरान जलाने की घटनाओं पर सऊदी अरब ने भारी नाराज़गी जताई है. सोमवार की सुबह सऊदी अरब विदेश मंत्रालय ने इस पर बयान जारी किया है.
सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा है, “विदेश मंत्रालय पवित्र क़ुरान और मुसलमानों के साथ जानबूझकर की गई बेदअबी और इसके उकसावे के लिए सऊदी अरब की निंदा को दर्ज करा रहा है.”
इस बयान में आगे कहा गया है, “सऊदी अरब संवाद, सहिष्णुता, सह-अस्तित्व फैलाने के पुख़्ता प्रयासों के महत्व पर ज़ोर देता है. साथ ही नफ़रत, चरमपंथ और सभी धर्मों और पवित्र स्थलों के दुर्व्यवहार को त्यागने का समर्थन करता है.”
क्या है मामला
स्वीडन में धुर-दक्षिणपंथी और आप्रवासी विरोधी समूहों द्वारा मुसलमानों के धर्म ग्रंथ क़ुरान को जलाने की घटना के बाद कई शहरों में चौथे दिन भी झड़पें हुईं हैं.
स्थानीय मीडिया ने बताया है कि पूर्वी शहर नोरेशेपिंग में रविवार को भी लगातार दंगे हुए जिनमें पुलिस ने दंगाइयों को चेतावनी देते हुए उन पर गोलियां चलाई थीं जिसमें तीन लोग घायल हुए हैं.
कई वाहनों में आग लगा दी गई जबकि कम से कम 17 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.
वहीं शनिवार को दक्षिणी शहर मालमा में धुर-दक्षिणपंथी रैली के दौरान हुई हिंसा में कई वाहनों समेत एक बस को आग के हवाले कर दिया गया था.
इससे पहले ईरान और इराक़ सरकार ने अपने यहां मौजूद राजनयिकों को क़ुरान जलाने के बाद हुई प्रदर्शन को लेकर तलब किया था.
क़ुरान जलाने को लेकर आंदोलन
हार्ड लाइन आंदोलन के प्रमुख और डेनिश-स्वीडिश चरमपंथी रसमुस पालूदान ने कहा है कि उन्होंने इस्लाम के सबसे पवित्र मूलपाठ को जलाया है और वो अपने इस काम को दोहराएंगे.
धुर-दक्षिणपंथी समूह ने जहां-जहां कार्यक्रम आयोजित किए हैं वहां पर गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार को झड़पें हुई हैं जिनमें कम से कम 16 पुलिस अफ़सर घायल हुए हैं और कई पुलिस के वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया. स्टॉकहोम के उपनगरों और लिनशेपिंग और नोरेशेपिंग जैसे शहरों में ये घटनाएं हुई हैं.
डॉएचे वैले ने रिपोर्ट किया है कि रविवार को पालूदान ने नोरेशेपिंग में एक अन्य रैली की चेतावनी दी थी जिसके बाद इसके विरोध में भी प्रदर्शन करने के लिए लोग इकट्ठा हुए थे.
स्थानीय पुलिस ने अपने बयान में कहा है कि हमले की ज़द में आने के बाद उन्होंने चेतावनी के तौर पर गोलियां चलाईं और तीन लोग इस दौरान घायल हुए.
पहले भी दंगे देखे लेकिन यह कुछ और है
स्वीडन के राष्ट्रीय पुलिस प्रमुख एंडश टूनबेरी ने एक बयान में शनिवार को कहा कि प्रदर्शनकारियों ने पुलिस अफ़सरों की जान की अनदेखी की.उन्होंने कहा, “हमने इससे पहले भी हिंसक दंगे देखे हैं लेकिन यह कुछ और है.”
स्वीडन में हार्ड लाइन आंदोलन के क़ुरान जलाने की योजनाओं के ख़िलाफ़ कई बार प्रदर्शन हिंसक हुए हैं. साल 2020 में मालमा में प्रदर्शनकारियों ने कारों को आग लगा दी थी और कई दुकानों को क्षतिग्रस्त कर दिया था.
डेनमार्क में नस्लवाद समेत कई अपराधों के कारण पालूदान को 2020 में एक महीने की जेल हुई थी. उन्होंने फ़्रांस और बेल्जियम जैसे यूरोपीय देशों में इसी तरह से क़ुरान जलाने की कोशिशें की थीं.
ईरान भी आग बबूला
ईरान ने स्वीडन में क़ुरान जलाने की कोशिश की घटना पर कड़ी प्रतक्रिया दी है. ईरान के विदेश मंत्रालय ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि रमज़ान के पवित्र महीने में क़ुरान के साथ बेअदबी ईशनिंदा है.
विदेश मंत्रालय ने कहा है कि ये घटना नफ़रत फैलाने और बोलने की आज़ादी के उल्लंघन का उदाहरण है. ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सईद खतीबज़ादेह ने कहा, एक चरमपंथी नस्लवाली तत्व की ओर से पवित्र क़ुरान को जलाने की घटना पुलिस के सामने हुई.
उन्होंने कहा कि रमज़ान के पवित्र महीने में जानबूझकर ऐसी अपमानजनक घटना के बार-बार होने से स्वीडन और दुनिया के अन्य हिस्सों के मुसलमानों की भावनाएँ आहत होती हैं.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि दुनियाभर में जो लोग एक साथ रहने और धर्मों के बीच संवाद पर भरोसा करते हैं, उन्हें इसकी आलोचना करनी चाहिए. उन्होंने स्वीडन की सरकार को इसके लिए ज़िम्मेदार बताते हुए तुरंत कार्रवाई की मांग की. उन्होंने कहा कि दोषियों के साथ कड़ाई से निपटना चाहिए ताकि ऐसी घटनाएँ फिर न हों.
स्वीडन की एक धुर दक्षिणपंथी पार्टी ने मुस्लिम बहुल इलाक़े में क़ुरान को जलाने की कोशिश की थी. पुलिस की उपस्थिति में धुर दक्षिणपंथी नेता रासमुस पालूदान ने दक्षिणी शहर लिंकोपिंग में जाकर क़ुरान को जलाने की कोशिश की. इसके बाद इस पार्टी के सदस्यों और स्थानीय लोगों के बीच झड़प भी हुई.
-एजेंसियां
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