चंडीगढ़ मुद्दा: पंजाब के खिलाफ हरियाणा विधानसभा में संकल्‍प प्रस्‍ताव पास

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चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा के बीच चंडीगढ़ के मुद्दे पर गर्मागर्मी के बीच हरियाणा विधानसभा का विशेष सत्र में संकल्‍प पत्र को सर्वसम्‍मति से पारित कर दिया गया है। इस संकल्‍प प्रस्‍ताव में पंजाब पर सीधा निशाना साधा गया है। संकल्‍प प्रस्‍ताव पर तीन घंटे की चर्चा के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बहस का जवाब दिया और इसके बाद प्रस्‍ताव को पारित कर दिया गया।

हरियाणा विधाानसभा के विशेष सत्र में राजधानी चंडीगढ़ को लेकर पंजाब विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव के विरोध और एसवाईएल निर्माण, हिंदी भाषी क्षेत्र हरियाणा को देने सहित हरियाणा के हितों से जुड़े मुद्दों के समर्थन में संकल्प प्रस्‍ताव सर्वसम्‍मति से पास हुआ। इसके बाद हरियाणा विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।

इससे पहले संकल्‍प प्रस्‍ताव पर करीब तीन घंटे तक चली चर्चा का जवाब देते मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि सदन में सभी पक्षों की तरफ से 25 वक्ताओं ने संकल्‍प प्रस्‍ताव पर अपने विचार रखे हैं। सभी ने सरकार के संकल्प पत्र का समर्थन किया है।

जगबीर सिंह मलिक ने बताया कि 1955 से ही यह मुद्दा उठा था। 23 अप्रैल 1966 को बना शाह कमीशन में कहा गया था कि खरड तहसील हरियाणा का हिस्सा बनेगी। 31 मई को आए इस तथ्य के बाद नौ जून को केंद्र की कैबिनेट सरकार ने निर्णय लिया कि खरड़ तहसील का पंजाबी भाषी क्षेत्र पंजाब और हिंदी भाषी क्षेत्र हरियाणा को दिया जाए। चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। अगर चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश नहीं बनता तो यह मुद्दा खड़ा नहीं होता। 1970 में इंदिरा गांधी अवार्ड में कहा गया कि चंडीगढ़ पंजाब को और 105 हिंदी भाषी गांव हरियाणा को दिए जाएं। तीनों में अलग-अलग बातें हुईं हैं। तभी से यह समस्या बनी हुई है।

– एजेंसी


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