शंकराचार्य वाङ्मय सेवा परिषद की स्थापना को लेकर PM से मिले संत

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महान संतों के एक समूह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और उन्हें शृंगेरी, महाकुंभ मेला के दौरान हरिद्वार और मुंबई में आयोजित संत समाज की बैठकों की कार्यवाही से अवगत कराने के साथ ही पवित्र स्थानों के पुनरुद्धार के अभूतपूर्व कार्यों को करने तथा केदार, वाराणसी में मूर्तियों की स्थापना करके श्री आदि शंकराचार्य की स्मृति करने सहित उनकी महानता और उनके द्वारा दिए गए संदेशों के बारे में अक्सर बोलने के लिए हार्दिक बधाई दी।

वेदान्त भारती के निदेशक डॉ. श्रीधर हेगडे ने उक्‍त जानकारी देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री से मिलने पहुंचे संतों में कर्नाटक के मैसूरु जिले के यडतोरे श्री योगानंदेश्वर मठ के आर नगर पीठाधीश और वेदान्त भारती संस्था के संरक्षक श्री शंकर भारती स्वामी जी के नेतृत्व में श्री शंकर भगवत्पादाचार्य की परंपरा का पालन करने वाली संस्थाओं के प्रतिनिधियों अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महामण्डलेश्वर स्वामी श्री रवीन्द्रपुरी जी महाराज, रामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के ट्रेजरार पूज्य श्री स्वामी गोविन्ददेव गिरि महाराज, पीठाध्यक्ष मृत्युंजय आश्रम हरिद्वार के अध्यक्ष महामण्डलेश्वर श्री स्वामी चिदम्बरानन्द सरस्वती महाराज, रोहतक ब्रह्मवेदामृत आश्रम के अध्यक्ष महामण्डलेश्वर श्री स्वामी विश्वेश्वरानन्द गिरिजी महाराज, उत्तरकाशी आदिशङ्कर ब्रह्मविद्यापीठ के अध्यक्ष श्री स्वामी हरिब्रह्मेन्द्रानन्द तीर्थ जी और योगी सहजानन्दनाथ आदि प्रमुख थे।

प्रधानमंत्री के साथ संतों की इस वार्ता का मुख्य अंश श्री शंकराचार्य द्वारा प्रतिपादित उपनिषदों के एकात्मतावाद (एकता)/विश्वात्मतावाद (सार्वभौमिक एकता) के प्रचार के लिए श्री शंकर भगवत्पादाचार्य के प्रति निष्ठावान सभी संस्थानों को शामिल करते हुए श्री शंकराचार्य वाङ्मय सेवा परिषद की स्थापना के बारे में था।

देशभर में सौंदर्यलहरी, दक्षिणामूर्ति अष्टक जैसे स्तोत्रों के पाठ के जन आंदोलनों को आयोजित करने, एकात्मतावाद के संदेश को ले जाने वाली सभी भाषाओं में पत्रकों और पुस्तकों का प्रकाशन, व्याख्यानमाला आदि का आयोजन करने की परिषद की मंशा माननीय प्रधानमंत्री मोदी को बताई गई। उन्हें उन सभी स्थानों पर संन्यासियों, संस्थानों और व्यक्तियों की भारी सकारात्मक प्रतिक्रिया के बारे में भी सूचित किया गया था, जहां श्री शंकर भारती स्वामी जी की यात्रा के दौरान प्रस्ताव व्यक्त किया गया है।

वेदांत भारती द्वारा बेंगलुरु में 2017 में आयोजित विशाल सौंदर्यलहरी सामूहिक पाठ में श्री नरेंद्र मोदीजी की भागीदारी का प्रभाव भी उनके ध्यान में लाया गया।

इस मुलाकात का मुख्य उद्देश्‍य विकासशील आध्यात्मिक केंद्र स्थान अयोध्या में अद्वैत और भारतीय दर्शन की अन्य प्रणालियों में अध्ययन एवं अनुसंधान के एक अंतर्राष्ट्रीय संस्थान तथा श्री शंकराचार्य के लिए एक मंदिर की स्थापना के लिए ध्‍यान आकर्षण कराना था। उन्हें परिषद को बढ़ावा देने वाली संस्था वेदांत भारती द्वारा इस उद्देश्य के लिए अयोध्या में भूमि अधिग्रहण करने के और अन्य प्रयासों के बारे में बताया गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सक्रिय रूप से व ध्यान से सभी प्रस्तावों को सुना और वर्तमान समय में जबकि विभाजनकारी ताकतें विभिन्न रूपों में सक्रिय हैं, एकता के संदेश को फैलाने के लिए संत समाज द्वारा किए जा रहे प्रयासों के लिए उनकी सराहना की। उन्होंने संतों में से महानतम श्री आदि शंकराचार्य को विच्छिद्र समाज को एकजुट करने के जीवित उदाहरण के रूप में याद किया और महत्‍वपूर्ण शब्दों में अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। साथ ही आध्यात्मिक साधनों के माध्यम से समाज को एकजुट करने के लिए संतों द्वारा उठाए गए उद्देश्य के लिए अपना पूरे दिल से समर्थन दिया।

-एजेंसी