रिपोर्ट में खुलासा: नेस्ले के बच्चों से संबंधित दो उत्पादों में शुगर की मात्रा अधिक

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ये दावा स्वीडन की एक संस्था पब्लिक आई और अतंर्राष्ट्रीय बेबी फूड एक्शन नेटवर्क की रिपोर्ट में किया गया है. नेस्ले के ये उत्पाद बच्चों के सेवन करने के लिए होते हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि नेस्ले कंपनी के अपने देश स्विट्ज़रलैंड में ये दोनों उत्पाद बिना शुगर के बेचे जा रहे हैं.
पब्लिक आई और अतंर्राष्ट्रीय बेबी फूड एक्शन नेटवर्क ने नेस्ले के एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में बेचे जाने वाले उत्पादों को बेल्जियम की लैब में जांच के लिए भेजा था.

पब्लिक आई की रिपोर्ट के मुताबिक़ सेरेलक की एक खुराक में औसतन 4 ग्राम शुगर होती है और यह 6 महीने की उम्र तक के बच्चों को दिया जाता है. भारत में दी जाने वाले सेरेलक की एक खुराक में 3 ग्राम शुगर पाई गई.

द गार्डियन से बात करते हुए नेस्ले के प्रवक्ता ने कहा, ”हम बच्चों के विकास के लिए पोषक तत्वों की गुणवत्ता में विकास रखते हैं और बच्चों की सही वृद्धि और विकास के लिए उत्पादों में गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखते हैं.”

बेबी फूड मार्केट के 20 फीसदी हिस्से पर नेस्ले का कब्जा है और कंपनी की वेल्यू 70 बिलियन डॉलर है. 2022 में भारत में नेस्ले ने 250 मिलियन डॉलर की कमाई की है.

एक याचिका में दावा किया गया कि नेस्ले दोहरे मापदंड का इस्तेमाल कर रहा है. नेस्ले के उत्पादों में शुगर की मात्रा अधिक होने की वजह से बच्चों में मोटापा बढ़ने का खतरा है.

गरीब देशों में नेस्ले का सेरेलक और मिल्क पाउडर सबसे ज्यादा बिकने वाले बेबी फूड प्रोडक्ट हैं. पब्लिक आई की जांच में दावा किया गया है कि नेस्ले कम आय वाले देशों के बच्चों में मीठे की लत पैदा करता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि कम उम्र में शुगर का सेवन करने की वजह से मोटापे जैसी बीमारी विकसित होने का खतरा बढ़ता जा रहा है.

2022 से संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी छोटे बच्चों के लिए इस्तेमाल होने वाले उत्पादों में शुगर के बैन की मांग कर रहा है.

नेस्ले भी सार्वजनिक रूप से जारी किए गए अपने विज्ञापनों में दावा करता है कि बच्चों को शुगर कंटेन करने वाले प्रोडक्ट नहीं दिए जाने चाहिए.

-एजेंसी