राहत भरी खबर: इंडोनेशिया ने पाम ऑयल के निर्यात से बैन हटाया

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महंगाई से त्रस्त देश के लोगों के लिए अच्छी खबर है। खाद्य तेल की कीमत में कमी आ सकती है। इसकी वजह यह है कि इंडोनेशिया ने पाम ऑयल के निर्यात पर बैन हटाने का फैसला किया है। इंडोनेशिया दुनिया में पाम ऑयल का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है। भारत अपनी जरूरत का ज्यादातर पाम ऑयल इंडोनेशिया से ही आयात करता है। इंडोनेशिया के फैसले से देश में पाम ऑयल की कीमत में गिरावट आने की उम्मीद है। पाम ऑयल का सबसे ज्यादा इस्तेमाल खाना बनाने में होता है। दूसरे तेलों के साथ इसकी ब्लेंडिंग भी की जाती है। पाम ऑयल का इस्तेमाल शैम्पू, नहाने के साबुन, टूथपेस्ट, विटामिन की गोलियां, मेक-अप आइटम, चॉकलेट आदि में भी होता है।

इंडोनेशिया ने 23 मई से पाम ऑयल के एक्सपोर्ट पर बैन हटाने का फैसला किया है। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने कहा कि पाम ऑयल सेक्टर में काम करने वाले 1.7 करोड़ लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है। l

इंडोनेशिया ने 28 अप्रैल से इंडोनेशिया ने पाम तेल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया था। इसकी वजह यह थी कि इंडोनेशिया में ही पाम ऑयल की कीमत आसमान पर पहुंच गई थी। वहां अब भी इसकी कीमत 17,300 रुपये (91.46 भारतीय रुपया) लीटर चल रही है। एक समय यह 22,000 रुपये के ऊपर चली गई थी।

क्यों बढ़ी कीमत

इंडोनेशिया के पाम ऑयल के एक्सपोर्ट पर बैन लगाने से भारत में इसकी कीमत में उछाल देखने को मिला। इंडोनेशिया पाम ऑयल का सबसे बड़ा उत्पादक है जबकि भारत दुनिया में खाद्य तेलों का सबसे बड़ा आयातक है। इसलिए इंडोनेशिया के बैन हटाने के फैसले से भारत को सबसे ज्यादा राहत मिलेगी। इससे देश में खाने के तेल की कीमत में कमी आने की उम्मीद है।

रूस-यूक्रेन युद्ध कारण सनफ्लावर ऑयल का आयात प्रभावित हुआ है। साथ ही सूखे के कारण लेटिन अमेरिका में सोयाबीन का उत्पादन भी प्रभावित हुआ है। इसके बाद इंडोनेशिया ने पाम ऑयल पर बैन लगाकर भारत की मुसीबत को बढ़ा दिया था।

भारत हर वर्ष करीब 13 से 13.50 मिलियन टन खाने के तेल का आयात करता है। इसमें 63 फीसदी यानी आठ से 8.50 मिलियन टन हिस्सेदारी पाम ऑयल की है। देश में करीब 70 फीसदी पाम ऑयल इंडोनेशिया से आता है जबकि बाकी 30 फीसदी मलेशिया से आता है।

महंगे कीमत के कारण 2021-22 में खाने के तेल का आयात 1.5 मिलियन टन से घटकर 1.3 मिलियन टन रह गया। लेकिन कीमतों में उछाल से देश को खाने के तेल के आयात पर 1.4 लाख करोड़ रुपये खर्च करने पड़े है। इससे पिछले साल भारत का एडिबल ऑयल इंपोर्ट बिल 82,123 करोड़ रुपये का था।

सबसे ज्यादा खपत

पाम ऑयल दुनिया में सबसे अधिक खपत होने वाला खाद्य तेल है। खाद्य तेल की कुल खपत का 40 फीसदी पाम ऑयल है। सोया तेल की खपत 32 फीसदी और सरसों तेल की जिसकी खपत 15 फीसदी है। जानकारों का कहना है कि इंडोनेशिया के फैसले से भारत को काफी राहत मिलेगी और देश में खाद्य तेल की कीमत में गिरावट आएगी। लेकिन कीमतों में कितनी गिरावट आएगी, यह पाना मुश्किल है। इसकी वजह यह है कि भारत ने इंडोनेशिया के बिना जीना सीख लिया है। अब मलेशिया और थाईलैंड से ज्यादा तेल मंगाया जा रहा है।

-एजेंसियां