प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय गुजरात के दौरे पर हैं। शनिवार को सुबह पीएम ने गांधीनगर के दहेगाम में रोड शो किया। रोड शो के बाद उन्होंने 11 बजे राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (आरआरयू) का भवन राष्ट्र को समर्पित किया।
आरआरयू में बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि रक्षा का मतलब वर्दी और डंडा नहीं है। वेल ट्रेनिंग और पावर आज की मांग ही। 21वीं सदी की चुनौतियों के अनुकूल हमारी व्यवस्थाएं हो, उसे संभालने वाले हैं, इसे के मद्देनजर इस यूनिवर्सिटी की शुरुआत की गई है।
रक्षा के क्षेत्र में 21वीं सदी की जो चुनौतियां हैं, उनके अनुकूल हमारी व्यवस्था भी विकसित हो और उन व्यवस्थाओं को संभालने वाले व्यक्तित्व का विकास हो, इसके लिए इस विश्वविद्यालय का जन्म हुआ है। उन्होंने कहा कि यह यूनिवर्सिटी देशभर में रक्षा के क्षेत्र में जो अपना करियर बनाना चाहते हैं उनके लिए इस यूनिवर्सिटी का जन्म हुआ है। इस क्षेत्र में वेल ट्रेंड मेन पावर समय की मांग है।
रीफॉर्म की थी जरूरत
आज के दिन ही नमक सत्याग्रह के लिए दांडी यात्रा शुरू हुई थी। गांधी जी के नेतृत्व में जो आंदोलन चला उसे भारतीयों को सामुहिक सामर्थ्य का एहसास कराया। पीएम ने कहा कि आज का दिन स्टूडेंट्स, टीचर और पैरंट्स के लिए बड़ा दिन है लेकिन मेरे लिए भी दिन खास है। अंग्रेजों के जमाने में जो रक्षा का क्षेत्र था, वह सिर्फ एक लॉ एंड ऑर्डर के रूप में यह हिस्सा था। लंबे-चौड़े, डंडा चलाने वाले भर्ती किए जाते थे, जिन्हें लोग देखकर डर जाएं और अंग्रेज अपना काम कर सकें।
आजादी के बाद पुलिस में रिफॉर्म की जरूरत थी लेकिन नहीं किया गया। इस वजह से हम पिछड़ गए। आज परसेप्शन ऐसा बना है कि इनसे दूर रहो, बचकर रहो। सामान्य आदमी के मन में मित्रता और विश्वास की अनुभूति हो इसलिए ट्रेनिंग में रिफॉर्म की जरूरत थी, वह की गई। कभी-कभी लगता था रक्षा का मतलब वर्दी, पावर और हाथ में डंडा है, आज रक्षा का क्षेत्र कई रंग रूप वाला हो गया है। कई चुनौतियां हो गई हैं।
अखबार और फिल्में दिखाती हैं पुलिस की खराब छवि
पीएम ने कहा कि हम देखते हैं कि दुनिया के कोने-कोने से पुलिस की छवि की अच्छी खबरें आती हैं। हमारे देश का दुर्भाग्य है कि अखबार भरें हैं तो पुलिसवाले का भद्दा चेहरा, फिल्म देखें तो पुलिस का भद्दा चेहरा दिखाते हैं इसलिए समाज में पुलिस का अच्छा चेहरा नहीं पहुंच पाता। आज सोशल मीडिया ने पुलिस के अच्छे काम लोगों तक पहुंचाए।
कोरोना लॉकडाउन में पुलिस ने बहुत अच्छा काम किया। एक मानवीय चेहरा कोरोना कालखंड में लोगों के मन में उभर रहा था, लेकिन यह फिर बदल गया। जब नकारात्मक वातावरण होता है तो अच्छा करने वाला निराश हो जाता है।
माइक्रो फैमिली बढ़ा रहीं स्ट्रेस
पहले लोग परिवार में अपने मन की बात कर लेते थे। आज माइक्रो फैमिली हो रही है। युवा विपरीत परिस्थितियों में नौकरी करता है। घर जाता है तो कोई पूछने वाला नहीं होता है। स्ट्रेस होता है। ऐसे में यह यूनिवर्सिटी अहम रोल निभाएगी। साइबर सिक्यॉरिटी इश्यू हो गया है लेकिन क्राइम डिटेक्शन में फायदा मिला है। आज क्राइम होता है तो सीसीटीवी फुटेज केस सुलझाने में अहम रोल निभा रहा है। आर्टिफिशल इंटेलिजेंस मदद दे रहा है। सही लोगों के हाथ में सही हथियार जरूरी हैं, ट्रेनिंग जरूरी है।
पीएम ने कहा कि आज भारत में ऐसी मैन पावर को सुरक्षा के क्षेत्र में लाना जरूरी है, जो सामान्य मानवी के मन में मित्रता और विश्वास की अनुभूति कर सके। तकनीक एक बहुत बड़ी चुनौती है। अगर विशेषज्ञता नहीं है, तो हम समय पर जो करना चाहिए, वो नहीं कर पाते हैं।जिस प्रकार से साइबर सिक्योरिटी के मुद्दे सामने आते हैं, जिस प्रकार से क्राइम में तकनीक बढ़ती जा रही है, उसी प्रकार से क्राइम को कम करने में तकनीक बहुत मददगार भी हो रही है।
यूनिफॉर्म पहन ली बस… मन में मत लाना यह भाव
आपने यूनिफॉर्म पहन ली तो ये सोचने की गलती मत करना की दुनिया आपकी मुठ्ठी में है। यूनिफॉर्म की इज्जत तब बढ़ती है, जब उसके भीतर मानवता होती है। यूनिफॉर्म की इज्जत तब बढ़ती है, जब उसमें करुणा का भाव होता है। यूनिफॉर्म की ताकत तब बढ़ती है, जब माताओं-बहनों, पीड़ित, वंचितों के कर गुजरने की आकांक्षा होती है।
सेना में बेटियों की संख्या बढ़ रही है। एनसीसी में बेटियां आ रही हैं। सैनिक स्कूलों में बेटियों को प्रवेश मिल रहा है। कोई क्षेत्र नहीं बचा है जहां बेटियां न हों। साइंस के क्षेत्र में खेल के क्षेत्र में, सुरक्षा के क्षेत्र में, शिक्षा के क्षेत्र में… हर क्षेत्र में बेटियों की संख्या ज्यादा है।
RSU से हुआ RRU नाम
सरकार ने रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय को अपग्रेड करके राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय नाम से एक राष्ट्रीय पुलिस विश्वविद्यालय की स्थापना की है। इसे 2010 में गुजरात सरकार ने ही स्थापित किया था। विश्वविद्यालय ने 1 अक्टूबर, 2020 को अपना संचालन शुरू किया।
45 लाख से ज्यादा खिलाड़ी लेते हैं भाग
2010 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गुजरात में 16 खेलों और 13 लाख प्रतिभागियों के साथ खेल महाकुंभ शुरू हुआ था। आज इस खेल महाकुंभ में 36 सामान्य खेल और 26 पैरा खेल शामिल हैं। 11वें खेल महाकुंभ के लिए 45 लाख से अधिक खिलाड़ियों ने पंजीकरण कराया है।
इन खेलों का होता है आयोजन
खेल महाकुंभ ने गुजरात में खेल पारिस्थितिकी तंत्र में क्रांति ला दी है। कोई आयु सीमा नहीं होने के कारण, यह राज्य भर के लोग इसमें भाग लेते हैं। एक महीने तक प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है। कबड्डी, खो-खो, रस्साकशी, योगासन, मल्लखंभ जैसे पारंपरिक खेलों और कलात्मक स्केटिंग, टेनिस और तलवारबाजी जैसे आधुनिक खेलों का यह एक अनूठा संगम है।
-एजेंसियां