पुलिस द्वारा बल प्रयोग के बावजूद चीन के एक दर्जन से अधिक शहरों तक फैला विरोध प्रदर्शन

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ऐसी भी ख़बरें आ रही हैं कि लोगों से पूछताछ हो रही है और उनके फ़ोन भी जांचे जा रहे हैं. पुलिस फ़ोन में टेलीग्राम और ट्विटर जैसे ऐप के साथ ही ये देख रही है कि क्या लोगों के फ़ोन में वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) तो नहीं लेकिन विदेशों में चीनी नागरिकों का प्रदर्शन अभी भी जारी है और करीब एक दर्जन से अधिक शहरों तक फैल गया है.

बीते गुरुवार उरुमची में एक इमारत में आग लगने के बाद 10 लोगों की मौत के बाद शनिवार और रविवार को चीन में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए. लोगों ने कोविड पाबंदियों को इन मौतों का ज़िम्मेदार बताया. हालांकि, प्रशासन ने इस दावे को खारिज किया.

हज़ारों लोगों ने सड़कों पर आकर कोविड पाबंदियों को हटाने की मांग की. कुछ जगहों पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से इस्तीफ़ा भी मांगा गया लेकिन मंगलवार को पुलिस उन इलाकों में पट्रोलिंग करती दिखी, जहां सोशल मीडिया के ज़रिए प्रदर्शन का आह्वान किया गया था. हालांकि, लंदन, पेरिस और टोक्यो में चीनी दूतावासों के बाहर और यूरोप-अमेरिका की यूनिवर्सिटियों में लोगों का जुटना अभी भी जारी है.

एक महिला ने समाचार एजेंसी एएफ़पी को बताया कि वो और उनके पांच दोस्त बीजिंग में एक प्रदर्शन में शामिल हुए थे और उन्हें पुलिस का फ़ोन आया, जो उनका पता पूछ रही थी.

डर और गुस्सा कैसे बना शी जिनपिंग की मुसीबत?

कोविड का असर पूरी दुनिया पर हुआ और चीन को छोड़कर अब लगभग पूरी दुनिया ने मान लिया है कि इस वायरस के साथ ही जीना होगा. लेकिन चीन में बीते तीन साल में कई लॉकडाउन और कोविड टेस्टिंग अभियानों के साथ जी रहे लोग अब इससे शायद लाचार हो गए हैं और उनका धैर्य चूकता जा रहा है.

कई शहरों में कोविड बंदिशों के ख़िलाफ़ हज़ारों लोग सड़कों पर उतर पड़े हैं, लोग अब पूछ रहे हैं कि शी जिनपिंग की ज़ीरो कोविड पॉलिसी को कब तक सहना पड़ेगा. राष्ट्रपति शी जिनपिंग का ये सबसे बड़ा राजनीतिक टेस्ट है.

Compiled: up18 News